भारत में 2014 से अब तक 52 विमान दुर्घटनाए बस 'होते-होते' रह गईं
दुर्घटनाओं को 'नेयर मिस' तब माना जाता है, जब दो विमान बहुत करीब होते हैं, दुर्घटना होने की संभावना काफी ज्यादा होती है, लेकिन बड़ा हादसा होने से टल जाता है।
बेंगलुरु, जेएनएन। पिछले सप्ताह के अंत में दिल्ली और जयपुर में वाणिज्यिक विमानों से जुड़ी दो दुर्घटनाएं हुईं, हालांकि इनमें कोई भी यात्री या चालक दल चोटिल नहीं हुआ। लेकिन 2014 से अब तक ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है, जिन विमान दुर्घटनाओं में लोग हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गए।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से मिली जानकारी के मुताबिक, 2014 से मई 2017 तक 52 ऐसी घटनाएं हुईं। दिल्ली (13), महाराष्ट्र (10) और कर्नाटक (10) में इनकी 50 फीसद हिस्सेदारी है, जबकि 50 फीसद अन्य 15 राज्यों के खाते में हैं। इन 52 मामलों में से कम से कम 35 'करीब-करीब' टकराव की स्थिति में थे।
बता दें कि दुर्घटनाओं को 'नेयर मिस' तब माना जाता है, जब दो विमान बहुत करीब होते हैं, दुर्घटना होने की संभावना काफी ज्यादा होती है, लेकिन बड़ा हादसा होने से टल जाता है। ऐसे ही एक मामले में मार्च 29, 2016 को एयर मॉरीशस उड़ान 746 और स्पाइसजेट उड़ान 614 के सभी यात्रियों की जान तब आफत में आ गई, जब उन्हें पता चला कि दोनों विमान चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर टकराने से बाल-बाल बच गए।
डीजीसीए ने जांच में पाया कि स्पाइसजेट विमान नियंत्रक की गलतफहमी के कारण लैंडिंग एरिया में मॉरीशस एयरक्राफ्ट के करीब आ गया था। वहीं दिल्ली के एक अन्य मामले में नियंत्रक द्वारा दिए गए गलत निर्देश के कारण हादसा होते-होते बच गया। यहां एक विमान को लैंडिंग और दूसरे को उड़ान भरने की इजाजत एक ही समय और एक ही हवाईपट्टी पर दे दी गई थी।
दरअसल, ये 'नेयर मिस' पायलट और नियंत्रक के बीच उचित तालमेल ना होने के भी नतीजे हैं। पायलटों और हवाई यातायात नियंत्रकों को इन हादसों को रोकने के बेहद सर्तक रहने की जरूरत है। वैसे डीजीसीए का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए 11 सुधारात्मक उपाय किए गए हैं।
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