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विदाई के पल में धुल गई नाराजगी

नई दिल्ली [जाब्यू]। यह विदाई के अवसर की औपचारिकता रही हो या लाख विवादों के बावजूद नेताओं की आपसी समझ का असर। लगातार शोर-शराबे, आरोप-प्रत्यारोप और विवादों से बाधित रही 15वीं लोकसभा का अंत सौहा‌र्द्र और शुभकामना के साथ हुआ। लोकसभा के नेता और नेता विपक्ष एक दूसरे की प्रशंसा में कसीदे काढ़ते दिखे। जिन प्रधानमंत्री को विपक्ष कमजो

By Edited By: Published: Fri, 21 Feb 2014 10:20 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2014 10:24 PM (IST)
विदाई के पल में धुल गई नाराजगी

नई दिल्ली [जाब्यू]। यह विदाई के अवसर की औपचारिकता रही हो या लाख विवादों के बावजूद नेताओं की आपसी समझ का असर। लगातार शोर-शराबे, आरोप-प्रत्यारोप और विवादों से बाधित रही 15वीं लोकसभा का अंत सौहा‌र्द्र और शुभकामना के साथ हुआ। लोकसभा के नेता और नेता विपक्ष एक दूसरे की प्रशंसा में कसीदे काढ़ते दिखे। जिन प्रधानमंत्री को विपक्ष कमजोर बताते नहीं थका उनकी सौम्यता का वर्णन हुआ और जिन सुशील कुमार शिंदे की बैठकों का भाजपा ने बहिष्कार किया, उनकी शराफत को कार्यवाही के लिए अहम बताया। जवाब में सरकार भी नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज की बोली को मिठाई से भी ज्यादा मीठा बताने में नहीं चूकी। यह अलग बात है कि इससे पहले शुक्रवार को भी कई मुद्दों पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने खड़े रहे।

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शुक्रवार को 15वीं लोकसभा के आखिरी सत्र का अंतिम दिन था। पिछले दो-ढाई वर्ष में कभी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, तो कभी राष्ट्रमंडल, कोयला आवंटन जैसे घोटालों पर सदन की कार्यवाही अक्सर बाधित रही। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल विधेयक तो पारित हो गया, लेकिन एकजुट होकर विपक्षी दल सरकार पर मनमानी का आरोप लगाने से नहीं चूके। पिछले सत्रों में ऐसा मौका कई बार आया जब अहम विधेयक बिना चर्चा के पारित हुए। सजायाफ्ता सांसदों की सदस्यता और चुनाव लड़ने की योग्यता जैसे विधेयक पारित नहीं हो पाए, तो अध्यादेश भी आया। खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण जैसे विधेयक बड़ी उपलब्धि रहीं। हालांकि, 15वीं लोकसभा के उत्तरा‌र्द्ध में सत्तापक्ष और विपक्ष की तनातनी अक्सर दिखी। कोयला घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग एकमुश्त विपक्ष से उठी, तो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ज्यादा किए बिना भी श्रेय लूटने की होड़ रही। आखिरी सत्र के लिए सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधी छह विधेयक बचा रखे थे। हालांकि, उनमें कोई पारित नहीं हो सका। अब इसका ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ने की होड़ है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने सत्र की अवधि बढ़ाने पर सहमति नही दी, जबकि भाजपा का कहना है कि सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है।

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15वीं लोकसभा में तेलंगाना के रूप मे नए राज्य के गठन को मंजूरी मिल गई, लेकिन उसके पहले सदन में वह सब हुआ जो लोकतंत्र और देश को शर्मसार करता है। मिर्च स्प्रे, धक्का-मुक्की और सांसदों को निलंबन झेलना पड़ा। पिछले दो सत्रों में दूसरी बार इसी मुद्दे पर कई सदस्य लोकसभा से निलंबित हुए। बहरहाल, सत्र के समापन से पहले सुषमा ने कहा कि पीएम की सौम्यता व सहनशीलता, सोनिया की मध्यस्थता, शिंदे की शराफत और लालकृष्ण आडवाणी की न्यायप्रियता से सदन की कार्यवाही चली। जबाव में शिंदे ने भी दिल खोलकर सुषमा के योगदान का गुणगान किया। विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार पर भी कई बार पक्षपात का आरोप लगाता रहा था, लेकिन आखिरी दिन हर किसी की जुबान पर सिर्फ अच्छाई थी।


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