Organic Manure: पांच दिन में खाद बनाएं, 30 प्रतिशत पानी बचाएं, 15 प्रतिशत पैदावार बढ़ाएं
Organic Manure 18 किलो खाद एक बीघा खेत के लिए पर्याप्त है। 10-15 लीटर पानी में एक किलो खाद मिलाकर घोल को खेत में डालना होगा। खाद में मौजूद जीवाणु मिट्टी में ऐसी पकड़ बना लेते हैं कि पानी जड़ के नीचे नहीं जाता।
रजनीश त्रिपाठी, गोरखपुर। Organic Manure कुशीनगर, उप्र के युवा केमिकल इंजीनियर ने सामान्य से तीन गुना अधिक प्रभावशाली जैविक खाद विकसित कर दिखाई है। वहीं, खाद निर्माण की इस युक्ति से कृषि अपशिष्ट को महज पांच दिनों में जैविक खाद में परिवर्तित किया जा सकेगा। इस खाद से जहां 30 प्रतिशत तक पानी की बचत होगी, वहीं पौधे सामान्य की अपेक्षा पांच गुना तेजी से बढ़ेंगे और पैदावार में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी।
नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के अलावा इस खाद में जिंक, सल्फर, आयरन, कॉपर जैसे सभी सात आवश्यक पोषक तत्व अनुपात के अनुसार मौजूद हैं। प्रारंभिक परीक्षण में खाद ने बेहतर परिणाम दिए हैं। 60 विशिष्ट जीवाणुओं और रिएक्टर के जरिये यह जैविक खाद तैयार की है मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर, उप्र से केमिकल इंजीनियरिंग करने वाले अक्षय श्रीवास्तव ने। उनकेइस फार्मूले को भी सराहा जा रहा है, जिसके पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है।
अक्षय ने मिट्टी में मौजूद विशिष्ट जीवाणुओं को खाद निर्माण के लिए चुना। साथ ही, 100 किलोग्राम क्षमता वाले रिएक्टर का निर्माण कर जीवाणुओं, जैविक अपशिष्ट (कृषि अवशेष, छिलके, पत्ते, गोबर, गोमूत्र इत्यादि) और पानी के निश्चित अनुपात की 100 किलोग्राम मात्र रिएक्टर में डालकर क्रिया कराई। बकौल अक्षय, सौर ऊर्जा से संचालित रिएक्टर में तापमान, नमी और दबाव आवश्यकतानुसार नियंत्रित होते हैं। इस अवस्था में जीवाणुओं ने भी तेजी से काम किया और अपशिष्ट पांच दिन में 90 किलोग्राम खाद में बदल गया। अक्षय ने प्रोजेक्ट की शुरुआत 2018 में विश्वविद्यालय के डिजाइन इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर से की थी।
उनका बनाया यह रिएक्टर स्टार्टअप इंडिया के बेस्ट 70 प्रोजेक्ट में शामिल हुआ और एग्री ग्रैंड चैलेंज के मास्टर क्लास राउंड तक पहुंचा। वहीं, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने उन्हें ‘छात्र विश्वकर्मा अवार्ड’ प्रदान किया। उत्तर भारत के चुनिंदा स्टार्टअप में शामिल इस प्रोजेक्ट का वर्चुअल प्रजेंटेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देख चुके हैं। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्षय को प्रेजेंटेशन के लिए बुलाया है। नेशनल एक्रीटिडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) ने उत्पाद को सर्टििफकेट दे दिया है, तो स्टार्टअप के तौर पर भारत सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) ने भी इस पर मुहर लगा दी है। अक्षय की कंपनी एलसीबी फर्टलिाइजर प्रा.लि. नवंबर तक इस खाद को बाजार में उतार देगी। पेटेंट के बाद फार्मूले का भी व्यावसायीकरण किया जा सकेगा।
एक बीघे में 18 किलो पर्याप्त : 18 किलो खाद एक बीघा खेत के लिए पर्याप्त है। 10-15 लीटर पानी में एक किलो खाद मिलाकर घोल को खेत में डालना होगा। खाद में मौजूद जीवाणु मिट्टी में ऐसी पकड़ बना लेते हैं कि पानी जड़ के नीचे नहीं जाता। इससे सामान्य की अपेक्षा 30 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। वहीं पौधे भी सामान्य की अपेक्षा पांच गुना तक तेजी से बढ़ते हैं।
एलसीबी फर्टलिाइजर प्रा.लि. के युवा विज्ञानी व संस्थापक अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि इस खाद को जल्द ही बाजारों में पहुंचा दिया जाएगा। इसके लिए हमारी कंपनी ने आवश्यक तैयारी कर ली है। उम्मीद है कि नवंबर से यह किसानों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।