जानें- कौन है Feluda जिसके नाम पर बनी है कोविड-19 की नई टेस्ट किट, दो घंटे में देगी नतीजे
टाटा ग्रुप और सीएसआईआर ने मिलकर कोविड-19 की जांच के लिए एक टेस्ट किट बनाई है जिसको फेलूदा का नाम दिया गया है। ये नाम सत्यजीत रे ने अपने द्वारा बनाए एक किरदार को दिया था। ये एक प्राइवेट जासूस था जिसको सिगरेट पीने और सुपारी खाने का शौक है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारत में बीते कुछ दिनों से लगातार 90 हजार से अधिक कोविड-19 के मामले सामने आ रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह देश में कोविड-19 के बड़ी संख्या में टेस्ट का होना भी है। अब तक इस टेस्ट की रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब टाटा समूह ने एक नई कोविड-19 टेस्ट किट तैयार की है। टाटा ग्रुप ने इस किट को क्लस्टर्ड रेग्युलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिनड्रॉमिक रिपीट्स कोरोना वायरस टेस्ट (CRISPR Corona Test) को सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जेनॉमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB) के साथ मिलकर तैयार किया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भी इस किट के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इस नई किट का नाम Feluda रखा गया है जो मशहूर लेखक और फिल्म डायरेक्टर सत्यजीत रे के काल्पनिक बंगाली जासूसी उपन्यास के एक कैरेक्टर फेलू 'दा' से प्रेरित है। इसके जरिए महज दो घंटे में कोविड-19 का पता लगाया जा सकेगा।
उनके द्वारा लिखित इस काल्पनिक कैरेक्टर का पूरा नाम दरअसल प्रदोष चंद्र मित्तर है, जिन्हें प्यार से सभी फेलू 'दा' बुलाते हैं। उनकी शॉर्ट स्टोरी और उपन्यास का ये कैरेक्टर एक प्राइवेट जासूस है। ये जासूस कोलकाता के 21 राजानी सेन रोड पर रहता है। फेलू 'दा' की पहली एंट्री 1965 में बच्चों की बंगाली में आने वाली मैग्जीन संदेश में छपी Feludar Goyendagiri कहानी से हुई थी। इस मैग्जीन के एडिटर सत्यजीत रे के अलावा सुभाष मुखोपाध्याय भी थे। फेलू 'दा' अपने एक भाई तपेश रंजन मित्तर के साथ रहते हैं जिसको वो अपना सहायक बताते हैं। इसको फेलूदा तोपशे बुलाते हैं। यही तोपशे दरअसल फेलू 'दा' की कहानी का भी वर्णन करता है।
सत्यजीत रे का ये कैरेक्टर दरअसल, शरलॉक होम्स से मिलता है। वहीं उनके सहायक का कैरेक्टर शरलॉक के सहायक डॉक्टर वॉटसन से मेल खाता है। सत्यजीत खुद शरलॉक होम्स की सीरीज के दिवाने थे और उन्होंने अपनी स्कूल लाइफ में ही इसकी पूरी सीरीज पढ़ ली थी। इसके बाद जब उन्हें एक जासूसी उपन्यास लिखने का ख्याल आया तो उनके दिमाग में पहली छवि शरलॉक होम्स की ही थी।
फेलू 'दा' करीब छह फीट दो इंच लंबा और गठीले बदन वाला एक 27 वर्षीय युवा है जो मार्शल आर्ट भी जानता है। केस चुनने के मामले में फेलू 'दा' काफी चूजी हैं। उनके पास हर समय .32 कॉल्ट रिवाल्वर रहती है, जिसका इस्तेमाल न के ही बराबर किया जाता है। सत्यजीत रे ने अपने इस कैरेक्टर को कई खूबियों को मिलाकर तैयार किया है। जैसे, वो अपने भाई तोपशे की परवरिश खुद करता है। जासूस बनने से पहले वो एक बैंक में काम करता है। वो सुबह जल्दी उठता है और योगा भी करता है। फेलू 'दा' को चारमिनार सिगरेट के अलावा सुपारी खाना काफी पंसद है। फेलू 'दा' खाने-पीने के भी शौकीन हैं। इसके अलावा उन्हें किताब पढ़ने का भी शौक है। लेकिन फेलू 'दा' को महिलाओं में कोई दिलचस्पी नहीं है। शायद इसी वजह से सत्यजीत रे के इस कैरेक्ट के आस-पास गिनी चुनी ही महिलाएं हैं।
सत्यजीत रे के इस कैरेक्टर के ऊपर कई फिल्म भी बन चुकी हैं। इनमें से कुछ में सौमित्र चटर्जी, सब्यसाची चक्रवर्ती, अबीर चटर्जी और शशि कपूर इसका किरदार निभा चुके हैं। इनमें से पहली 1974 में सोनार केला और दूसरी 1978 में जय बाबा फेलूनाथ आई थी। इसके बाद उनके बेटे संदीप रे ने फेलू 'दा' पर आगे भी फिल्मों की सीरीज बनाई। जिसकी शुरुआत 1996 में Baksho Rahashya से हुई थी। इसके तहत बंगाली में दस टीवी फिल्में और छह थियेटरीकल फिल्में बनीं। वर्ष 2014 में उन्होंने Badshahi Angti बनाई। उनका मकसद इसी श्रृंख्ला को आगे बढ़ाने का था लेकिन इस सीरीज को बाद में रद कर दिया गया।
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