पिता के दुष्कर्म की शिकार किशोरी बोली-पहले परीक्षा दे दूं, फिर डॉक्टर के पास ले जाना
बच्ची को छह माह का गर्भ है। पिता का नाम लेते ही उसके हाथ-पैर कांपने लगते थे। पिता की दरिंदगी की वजह से अभी जिंदगी की सबसे कठिन परीक्षा से गुजर रही है।
इंदौर, (नईदुनिया)। उसके चेहरे पर इतना डर था कि आंखें उठाकर भी नहीं देख पा रही थी। अपनी मां का हाथ कसकर पकड़े थी। बार-बार शॉल से खुद को ढंकने की कोशिश कर रही थी। पिता का नाम लेते ही उसके हाथ-पैर कांपने लगते थे। पिता की दरिंदगी की वजह से अभी जिंदगी की सबसे कठिन परीक्षा से गुजर रही है। इन सबके बावजूद उसे अपनी स्कूली परीक्षा की चिंता सता रही है। पुलिस और चाइल्ड लाइन ने उसे डॉक्टर को दिखाकर घर से दूर आश्रय संस्था में रखने की बात कही तो उसने कहा-पहले मुझे परीक्षा देने दो फिर अस्पताल ले चलना।
अपने पिता की दरिंदगी की शिकार 14 साल की इस किशोरी की काउंसलिंग करने सोमवार को चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम पहुंची। मूसाखेड़ी स्थित छोटे से मकान में रहने वाली बच्ची को छह माह का गर्भ है। काउंसलिंग के दौरान उससे सवाल-जवाब हुए तो उसकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। वह गर्भवती होने की बात पूरी तरह समझ नहीं पा रही है, लेकिन शारीरिक बदलाव देखकर डॉक्टर के पास जाकर ठीक होने की बात दोहराई। बार-बार वह एक ही बात कहती रही कि 'पापा बहुत गंदे हैं। मुझे पापा से बहुत डर लगता है।' घर के भीतर जाने के नाम से ही कांपने लगती थी मैं सुबह स्कूल तो खुशी-खुशी जाती थी, लेकिन घर लौटते समय हाथ-पैर कंपकपाने लगते थे।
दोपहर में पापा खाना खाने घर आते और मेरे साथ गंदा काम करते थे। रात में भी सबके सो जाने पर मुझे दूसरे कमरे में ले जाकर ऐसा ही करते। मेरा मुंह दबाकर बोलते कि किसी को बताया तो मार डालूंगा। मम्मी की तबीयत खराब हो जाने के डर से किसी को नहीं बताया। 30 मार्च को मेरा आठवीं कक्षा का संस्कृत का आखिरी पेपर है। इसके बाद मुझे भले ही किसी संस्था या अस्पताल में भर्ती करवा देना, लेकिन पहले मुझे अपनी परीक्षा देना है। दो-तीन दिन से मैं पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दे पाई हूं। इतने बुरे हाल में भी मैंने किसी तरह पढ़ाई की है। अब इस वजह से मेरा साल न खराब हो जाए।
मां बोली-दरिंदे पिता को कठोर सजा मिले
बेटी का हाल देखकर बिलख रही मां बार-बार यही कहती रही कि उसे जीवनभर इस बात का दर्द रहेगा कि उसकी बेटी इतनी तकलीफ में रही और वह मां होकर भी समझ नहीं पाई। उसका कहना था उसके काम पर जाने के बाद बेटी के साथ पिता ऐसी हरकत करता होगा, कभी सपने में भी नहीं सोचा था। ऐसे दरिंदे के साथ रहना कभी मंजूर नहीं है। वह पति से अलग रहकर परिवार को पाल लेगी।
बच्चे को जन्म देगी पीड़िता
इधर, पीड़िता की मां ने फिलहाल गर्भपात की बात से इंकार कर दिया है। उसका कहना था छह महीने का गर्भ गिराने की सरकार से अनुमति नहीं मिलेगी, वहीं बेटी की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसीलिए बेटी को आश्रयगृह में रखवाकर उसकी सेहत का ख्याल रखेंगे। सुरक्षित बच्चे को जन्म देने के बाद गोद दे दिया जाएगा। इस समय पीड़िता को मानसिक व शारीरिक रूप से सशक्त करने के लिए लगातार काउंसलिंग की जाएगी।
पढ़ाई के लिए प्रेरित किया
चाइल्ड लाइन समन्वयक जितेंद्र परमार ने बताया कि बच्ची की मानसिक स्थिति कुछ गड़बड़ा गई है, लेकिन उसे बहुत समझाया है। अभी पढ़ाई में अपना मन लगानेके लिए प्रेरित किया है। परीक्षा के दौरान भी चाइल्ड लाइन सदस्य उसके साथ मौजूद रहेंगे।