जान की चिंता जताते हुए आसाराम को जमानत न देने की गुहार, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पीड़िता का पिता
आसाराम से जुड़े दुष्कर्म मामले में पीड़ित परिवार के सदस्यों की जान की चिंता जताते हुए पीडि़ता के पिता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। पिता ने दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे आसाराम को जमानत पर रिहा न किए जाने की शीर्ष न्यायालय से गुजारिश की है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। आसाराम से जुड़े दुष्कर्म मामले में पीड़ित परिवार के सदस्यों की जान की चिंता जताते हुए पीडि़ता के पिता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। पिता ने दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे आसाराम को जमानत पर रिहा न किए जाने की शीर्ष न्यायालय से गुजारिश की है।
आसाराम की ओर से दाखिल अर्जी में उसकी खराब सेहत का हवाला देते हुए बाकी सजा निलंबित करते हुए उसे इलाज के लिए जमानत पर रिहा करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि आसाराम को अपना इलाज हरिद्वार में बने आयुर्वेदिक केंद्र में कराना है।
आसाराम को जोधपुर की अदालत ने 25 अप्रैल, 2018 को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आसाराम ने बालिका से 2013 में अपने आश्रम में दुष्कर्म किया था।
पीडि़ता के पिता ने अपनी अर्जी में कहा है कि आसाराम बहुत ज्यादा प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से सशक्त व्यक्ति है। उसके देश भर में दसियों लाख अंधभक्त हैं, जो उसके इशारे पर कुछ भी कर सकते हैं। उनके नियुक्त भाड़े के हत्यारे कार्तिक हलदर ने कई चश्मदीद गवाहों की हत्या की है और हमला कर उन्हें घायल किया है। पकड़े जाने पर कार्तिक ने पुलिस को बताया था कि पीडि़ता के पिता की हत्या की सुपारी भी उसे दी गई थी।
पीडि़ता के पिता ने बताया है कि अभी तक दस गवाहों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। अगर आसाराम को जमानत पर रिहा किया गया तो बदले की भावना से वह उनकी ही नहीं सूरत में चल रहे मामलों के गवाहों की हत्या कराने की साजिश रचने में जुट जाएगा।
पीडि़ता के पिता ने अपनी अर्जी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कम किए जाने की जानकारी भी सुप्रीम कोर्ट को दी है। राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथ पत्र में कहा है कि दुष्कर्म के दो मामलों में सजा पाया आसाराम स्वस्थ है। लेकिन वह इलाज के नाम पर अपने कारावास का स्थल बदलवाने के प्रयास में है। वह जोधपुर जेल से अन्यत्र जाना चाहता है।