कश्मीर को बचाना है तो राज्यपाल शासन जरूरी: फारूक अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य और देश के भविष्य के लिए यहां राज्यपाल शासन अनिवार्य है।
श्रीनगर (प्रेट्र)। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर के मौजूदा हालात पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि घाटी के हालातों को सुधारने के लिए राज्यपाल शासन को तुरंत लागू किया जाए।
श्रीनगर से निर्वाचित सांसद अब्दुल्ला ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि हमने कभी राज्यपाल शासन को प्रोत्साहन नहीं दिया, हमेशा इसका विरोध किया। लेकिन अब दूसरा कोई रास्ता नहीं। नेश्नल कांफेंस प्रमुख को हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर बातचीत के लिए नई दिल्ली बुलाया था। उन्होंने कहा, ‘मोदी राज में जारी तनावों का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं। मैंने प्रधानमंत्री से जो बातचीत की वह आपको नहीं बता सकता। कुल मिलाकर यह कह सकता हूं कि वे राज्य के हालात पर चिंतित हैं और इसका समाधान चाहते हैं।‘
पूर्व मुख्यमंत्री ने महबूबा मुफ्ती सरकार को हर मोर्चे पर असफल बताया और कहा न केवल दक्षिणी कश्मीर में बल्कि पूरी घाटी संकट में है। उन्होंने कहा कि यहां के तनाव से देश के बाकी हिस्सों में भी सांप्रदायिक तनाव शुरू हो गया है। श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन राजनीतिक एजेंडे से वंचित हैं। इस गठबंधन के पीछे मुख्य उद्देश्य बस सत्ता को हासिल करना था। यह पूछे जाने पर कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन महबूबा मुफ्ती की जगह भाजपा का मुख्यमंत्री लाने की सोच रहा है। तो इसके जवाब में फारूक ने कहा कि ऐसे कदम उठाने से घाटी में दोबारा से शांति नहीं हो सकेगी। यह गठबंधन पहले ही फेल हो गया है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुख्यमंत्री को उसी दिन इस्तीफा दे देना चाहिए था जब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित रूप से यह बता दिया था कि वह अलगाववादियों से बात नहीं करेगी।
कश्मीर में तनाव खत्म न होने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आज हर चीज पहले की तुलना में अलग है क्योंकि पीडीपी नेता मुफ्ती साहब ने चुनाव के दौरान जो वादा किया था उसे भूल गए। जब वे चुनावों के लिए आए थे तब भाजपा और आरएसएस को दूर रखने का वादा किया था पर आज वही लोग उनके साथ हैं। उनके अनुसार, आज उसी विश्वासघात के कारण संघर्ष जारी है। उन्होंने आगे कहा कि यदि वे राज्य और देश का भविष्य बचाना चाहते हैं तो वह राज्यपाल शासन लागू करने के बाद ही हो पाएगा।
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