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क्लाइमेटिक जोन और स्थानीय जरूरतों के हिसाब से खेती पर रहेगा जोर, जानें क्‍या है सरकार की योजना

केंद्र शासित राज्यों की खेती को आधुनिक बनाने और वहां के किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सरकार विशेष जोर देगी। कृषि मंत्रालय ने केंद्र शासित राज्यों के सम्मेलन में वहां के क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से होने वाली खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 08:59 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:29 PM (IST)
क्लाइमेटिक जोन और स्थानीय जरूरतों के हिसाब से खेती पर रहेगा जोर, जानें क्‍या है सरकार की योजना
केंद्र शासित राज्यों की खेती को आधुनिक बनाने और वहां के किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सरकार विशेष जोर देगी।

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र शासित राज्यों की खेती को आधुनिक बनाने और वहां के किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सरकार विशेष जोर देगी। कृषि मंत्रालय ने केंद्र शासित राज्यों के सम्मेलन में वहां के क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से होने वाली खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। संघ राज्य क्षेत्रों की इस पहले सम्मेलन में केंद्रीय योजनाओं का पूरा लाभ उठाने के उपाय सुझाए गए। जबकि इन केंद्र शासित राज्यों की स्थानीय जरूरतों के मद्देनजर योजनाएं तैयार करने को कहा गया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सरकार सुदूर स्थित इन क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

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एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के एक लाख करोड़ रुपये से इन क्षेत्रों में भी विकास होगा जिसके लिए इन्हें योजनाएं तैयार करनी होंगी। यहां के किसानों के हित को ध्यान में रखकर उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने का पूरा बंदोबस्त किया जाएगा। तोमर ने कहा कि गांव-गांव और खेतों के पास तक बुनियादी ढांचा बनाकर उनकी उपज के भंडारण और करने की सुविधा दी जाएगी, ताकि किसान अपनी मर्जी के हिसाब से उपज को बाजार में बेच सकें। कृषि मंत्रालय के अपर सचिव विवेक अग्रवाल ने कृषि मंत्रालय की विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का ब्योरा पेश करते हुए इन राज्यों में उनके क्रियान्वयन का खाका पेश किया।

एग्री इन्फ्रा फंड, पीएम-किसान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम फसल बीमा योजना, पीएम पाम आयल मिशन और नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन जैसी बड़ी योजनाओं में इन राज्यों की भागीदारी का ब्योरा रखा गया। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने राज्य के किसानों के लिए केंद्रीय योजनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि यहां कृषि मौसम सेवा, मेगा बीज इकाई के तहत जीन बैंक, कोल्ड स्टोरेज, संस्थागत विकास योजना और हाई डेंसिटी प्लांटेशन से किसानों को सीधे जोड़ दिया गया है। बीते सालभर के भीतर जम्मू-कश्मीर में परंपरागत कृषि व हार्टिकल्चर में तमाम योजनाएं शुरू की गई हैं। 


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