किसानों की दयनीय स्थिति, टापू में नाव के सहारे कर रहे हैं खेती-किसानी
डुबान क्षेत्र में किसान पूरा कृषि कार्य नाव के सहारे करते हैं। बीज और खाद ले जाने से लेकर सिंचाई के लिए डीजल मोटर पंप का साधन डुबान लांघकर जुटाते हैं।
कोरबा, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में बांगो बांध के डुबान क्षेत्र में पानी का स्तर कम होने के बाद टापू के रूप में तब्दील स्थल पर किसान धान की खेती करते हैं। किसान पूरा कृषि कार्य नाव के सहारे करते हैं। बीज और खाद ले जाने से लेकर सिंचाई के लिए डीजल मोटर पंप का साधन डुबान लांघकर जुटाते हैं। अब कटाई का वक्त आ गया है। करीब 40 किसान फसल काटकर इन दिनों नाव में डाल घर तक पहुंचा रहे।
डांडपारा बस्ती में सीएसईबी के भुविस्थापित आज दयनीय स्थिति में जीवन गुजार रहें हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 1970 में सीएसईबी पश्चिम में पॉवर प्लांट स्थापित करने के लिए यहां के किसानों की सैकड़ो एकड़ ज़मीन अधिग्रहित की। गांव के अनपढ़ गरीब किसान को मुआवजा के नाम पर चंद रुपये थमा दिया गया। विभाग ने अनपढ़ होने का हवाला देकर नौकरी भी नही दी। पेट पालने के लिए खतरा मोल लेते हुए हसदेव नदी के डुबान में खेती करते हैं।
जैलगांव से किसानों की जमीन अधिग्रहण कर उनको कुछ ही दूर स्थित टिहली भेजा गया। टिहली से फिर उठाकर डांडपारा में भेज दिया गया। अब किसानों के पास खेती के लिए जमीन नही बची। किसी तरह जिंदगी जीने के लिए डांडपारा के किसानों ने जीवन दायनी हसदेव नदी के डुबान में खेती करते हैं। बाढ़ आने पर फसल डूब जाता है।
गांव वालों का कहना है कि सीएसईबी हमारी जमीन लेने के बावजूद नौकरी नही दे रहा। खेती के लिए जमीन नही होने से हसदेव नदी के डुबान में खतरों के बीच फसल उगाते हैं। सीएसईबी प्रबंधन का किसानों के साथ छलावा दो तरफा न्याय करते हुए कुछ लोगों को नोकरी दी और हमे सभी सुविधाओं से महरूम कर दिया। बहरहाल किसानों को आने वाली नई सरकार से न्याय की आस बंधी हुई है। देखना होगा कि क्या सीएसईबी प्रबंधन किसानों की जमीन मामले में ठोस कार्यवाई करते हुए भुविस्थापितों के आंसू पोंछ कर उनका हक देगी।