किसानों को खेती की 'पूरी लागत' का डेढ़ गुना मिलेगा समर्थन मूल्य: पीएम मोदी
राज्यों के साथ मिलकर सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाना सुनिश्चित करेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों के साथ मिलकर सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाना सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण में कोई संदेह नहीं है। खेती की लागत के डेढ़ गुना के बराबर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि खेती की लागत में पूरा खर्च जोड़ा जाएगा, जिसमें किसान का अपना श्रम, पूंजी, पट्टे की जमीन का किराया, बीज, सिंचाई, खाद, ब्याज और अन्य सभी खर्च लागत का हिस्सा शामिल होंगे। प्रधानमंत्री ने एमएसपी को लेकर फैले भ्रम को दूर करने के लिए विस्तार से जिक्र किया।
- समर्थन मूल्य को लेकर फैले भ्रम को प्रधानमंत्री ने विस्तार से किया दूर
- राज्यों से मिलकर एमएसपी दिलाना सुनिश्चित करेगी सरकार
प्रधानमंत्री शनिवार को यहां पूसा में आयोजित राष्ट्रीय कृषि उन्नति मेला में किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एमएसपी को लेकर फैलाये जा रहे भ्रम को दूर करते हुए विस्तार से सरकार के निर्णय की जानकारी दी। खेती की लागत के मायने खेती पर होने वाले पूरे खर्च होंगे, जिसके डेढ़ गुना को एमएसपी माना जाएगा। मोदी की इस बात पर दूर-दूर से आये किसानों ने जमकर तालियां बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया।
किसानों की आमदनी को बढ़ाने के उपायों का ब्यौरा देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से उसे अपनाने की हिदायत दी। स्वायल हेल्थ कार्ड के हिसाब से खेती करने की बात करते हुए मोदी ने कहा कि इससे जहां लागत घटेगी, वहीं पैदावार में बढ़ोतरी होगी। देश के 11 करोड़ किसानों को यह कार्ड दिया जा चुका है। इसी तरह खेती को जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना काफी मुफीद साबित हो रही है। बहुत कम प्रीमियम पर अत्यधिक लाभ देने वाली बीमा योजना है।
प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के तहत खेत से बाजार तक की श्रृंखला तैयार की जा रही है। सप्लाई चेन तैयार हो जाने से किसानों को उनकी उपज का ऊंचा मूल्य मिलेगा। ऑपरेशन ग्रीन' के तहत आलू, टमाटर और प्याज जैसी जल्दी खराब होने वाली फसलों को समय पर प्रोसेस कर भंडारण करने की योजना तैयार की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक आधुनिक बीज, खाद, दवा, सिंचाई के लिए पानी और बाजार मुहैया कराने की कोशिश में सरकार दिनरात लगी हुई है।
कृषि उन्नति मेला में लगे स्टॉल के बारे में मोदी ने कहा कि इससे किसानों को बहुत कुछ सीखने को मिल जाएगा। जैविक खेती के बारे में उन्होंने कहा कि देश में वैसे तो 22 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती होने लगी है, जो दुनिया में सर्वाधिक है। लेकिन जैविक उपज के मूल्यवर्धन के क्षेत्र में हम पीछे हैं। ई-मंडियों से इसे जोड़ने और उसकी मार्केटिंग और अलग सप्लाई चेन की जरूरत है।
कृषि विज्ञान केंद्रों की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर में इनकी संख्या 700 के करीब हो गई। खेती और किसानों के लिए ये केंद्र लाइट हाऊस के रूप में विकसित हो चुके हैं। आधुनिक कृषि के बारे में इन केंद्रों से जारी जानकारी मिल सकती है।