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कोरोना से चरमराई अर्थव्यवस्था को संबल दे सकते हैं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के किसान, जानिए कैसे

देशवासियों का पेट भरने वाले किसान कोरोना संकट में चरमराई अर्थव्यवस्था को भी संबल प्रदान कर सकते हैं। दरअसल मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचकर काफी धन अर्जित किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 11:28 PM (IST)
कोरोना से चरमराई अर्थव्यवस्था को संबल दे सकते हैं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के किसान, जानिए कैसे
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसानों ने

नई दिल्ली, जागरण टीम। देशवासियों का पेट भरने वाले किसान कोरोना संकट में चरमराई अर्थव्यवस्था को भी संबल प्रदान कर सकते हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचकर काफी धन अर्जित किया है। यह राशि बाजार में आएगी तो प्रत्येक वर्ग को प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर इसका फायदा मिलेगा। इससे बाजार में तरलता आएगी, जो आर्थिक संकट को कम करेगी। अकेले मध्य प्रदेश में ही गेहूं और चना का किसानों को 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया है। 

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कोरोनाकाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचकर काफी धन किया है अर्जित

कोरोना काल में मध्य प्रदेश के 17 लाख 16 हजार किसानों ने एक करोड़ 28 लाख टन से कुछ अधिक गेहूं एमएसपी पर बेचा है। इसके बदले उन्हें 23,508 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इसी तरह 55,340 किसानों ने एक लाख 53 हजार टन चना बेचा है। इसके लिए 718 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। इस तरह प्रदेश के किसानों को 24,226 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि इतनी बड़ी राशि किसानों को केवल एमएसपी पर फसल बेचने से मिली है। इसके अलावा खुले बाजार में भी उपज के दाम अधिक थे, इसलिए किसानों ने वहां भी फसल बेचकर पूंजी जमा की है।

मप्र में किसानों को 24 हजार करोड़, उत्तराखंड में 256 करोड़ व उप्र में 6528 करोड़ का भुगतान

 उत्तराखंड में इस बार 30 मई तक गेहूं की कुल खरीद 14.35 हजार टन हुई है। हकीकत ये है कि लक्ष्य से करीब 7.60 हजार टन पीछे रहने के बावजूद गेहूं की खरीद 10 सालों में सर्वाधिक हुई है। वर्ष 2012-13 में 13.93 हजार टन गेहूं की खरीद के बाद 2020-21 तक इस आंकड़े को छुआ नहीं जा सका। खरीद केंद्रों तक किसानों की आमद के मामले में भी 2021-22 अच्छा रहा है।

गेहूं खरीद केंद्रों पर 21,103 किसानों ने पंजीकरण कराया था। 20,594 किसानों ने गेहूं बेचा। खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि किसानों को अब तक गेहूं की कीमत के रूप में 256 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। करीब 29 करोड़ बकाया है।

उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए 5678 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। इनसे अब तक कुल 42.87 लाख टन गेहूं खरीदा गया है। कुल 9,22,059 किसानों का गेहूं खरीदा गया है, जिसमें किसानों को अब तक 6528 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। 

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि कोरोना संकट में किसान और मजदूर वर्ग ने जमकर पसीना बहाया और अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। अन्य उद्योग धंधों की तरह अन्नदाता भी काम बंद कर देता तो देश के सामने खाद्यान्न का संकट उत्पन्न हो जाता।

केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का भी किसानों को लाभ मिला है। एमएसपी पर उपज खरीदने के फैसले का असर यह हुआ कि बाजार में किसानों को कीमत अधिक मिली। सरकार का मकसद भी यही है कि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले। हम उनकी आय दोगुनी करने के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।


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