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सरकार के साथ वार्ता आज, किसानों ने ट्रैक्‍टर मार्च निकाल कर बनाया दबाव, जानें समाधान पर कहां फंसा है पेंच

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत होगी। इस बातचीत का क्‍या नतीजा निकलेगा यह तो वक्‍त बताएगा लेकिन किसान संगठनों ने आज गुरुवार को दिल्‍ली एनसीआर के अलग अलग इलाकों में ट्रैक्‍टर रैलियां निकाल कर सरकार को अपने रुख से अवगत करा दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 07:49 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 07:17 AM (IST)
सरकार के साथ वार्ता आज, किसानों ने ट्रैक्‍टर मार्च निकाल कर बनाया दबाव, जानें समाधान पर कहां फंसा है पेंच
केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत होगी।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत होगी। इस बातचीत का क्‍या नतीजा निकलेगा यह तो वक्‍त बताएगा लेकिन किसान संगठनों ने आज गुरुवार को दिल्‍ली एनसीआर के अलग अलग इलाकों में ट्रैक्‍टर रैलियां निकाल कर सरकार को अपने रुख से अवगत करा दिया। प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि सरकार यदि मसले का समाधान नहीं निकालती तो आगे उनका आंदोलन और तेज होगा। उन्‍होंने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड के लिए यह एक रिहर्सल था।

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दिल्ली के चारों ओर निकाला ट्रैक्टर मार्च 

किसानों ने प्रदर्शन स्थल सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर और हरियाणा के रेवासन में ट्रैक्टर रैली निकाली। भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां के मुताबिक, 3500 से ज्यादा ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों के साथ किसानों ने मार्च में हिस्‍सा लिया। किसानों ने कहा कि सरकार ने यदि उनकी मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड आयोजित की जाएगी। यह मार्च उसी का ट्रेलर है।

किसानों ने आठवें दौर की वार्ता आज

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत होनी है। किसानों का कहना है कि सरकार को उनकी बात माननी होगी। बीते सोमवार को किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रही थी। अब तक की बैठकों में केवल दो मसलों पर सहमति बन पाई है। पेंच नए कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP पर अलग कानून बनाने की मांग पर फंसा है।

किसानों में बैठ गया है यह डर

किसान कृषि कानूनों को वापस लेने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं सरकार का कहना है कि नए कृषि कानूनों से बिचौलिए की भूमिका खत्म होगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। वहीं प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को डर है कि नए कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और खेती बड़े कारपोरेट हाथों में चली जाएगी।

26 जनवरी को निकालेंगे मार्च 

आंदोलन के 43 दिन बीत चुके हैं लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे किसान भाइयों ने गुरुवार को ट्रैक्टर रैली निकालकर ट्रेनिंग ली ताकि 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली की परेड निकाली जा सके। 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर और टैंक एकसाथ चलेंगे। ट्रैक्टर दो लाइन में चलेंगे और टैंक एक लाइन में चलेगा... 

महिलाएं करेंगी ट्रैक्‍टर मार्च की अगुवाई

गुरुवार को आयोजित विरोध मार्च में बड़ी संख्या में महिलाएं ट्रैक्टर चलाती नजर आईं। सिंघू से टिकरी बॉर्डर, टिकरी से कुंडली, गाजीपुर से पलवल और रेवासन से पलवल की तरफ ट्रैक्टर रैलियां निकाली गईं। किसानों का कहना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च की अगुआई महिलाएं करेंगी। इसको लेकर तैयारियां तेज हैं... बड़ी संख्‍या में महिलाएं ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।

सरकार वार्ता में ला सकती है नए प्रस्ताव 

वहीं सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से आंदोलनकारी किसानों के समक्ष एक ऐसा प्रस्ताव पेश किया जा सकता है, जिसमें इन कानूनों को लागू करने का अधिकार राज्यों पर छोड़ा जा सकता है। इसमें राज्यों की भूमिका के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ी जा सकती हैं। दूसरा प्रस्ताव कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन हो सकता है। विस्‍तृत रिपोर्ट पढ़ें- कानूनों को लागू करने का अधिकार राज्‍यों पर छोड़ सकती है सरकार 

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है मामला, अदालत ने जताई चिंता

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के जमावड़े पर चिंता जताते हुए कठोर टिप्‍पणी की है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को केंद्र से सवाल किया कि क्या ये किसान कोराना संक्रमण से सुरक्षित हैं। कोरोना पर अंकुश पाने के लिए बने दिशा निर्देशों का पालन होना चाहिए। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि आपको हमें बताना चाहिए कि क्या हो रहा है। अब इस मामले में 11 जनवरी को सुनवाई होगी। वहीं पंजाब के मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। 


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