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आत्मनिर्भर किसान : पोर्टेबल किट से अब आधे घंटे में ही खेत में मिट्टी की जांच

इस नई किट के जरिए किसान अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण मौके पर ही कर सकेंगे। इसमें जैविक कार्बन मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन फास्फोरस पोटेशियम विद्युत चालकता व पीएच मान का पता चल सकेगा। किट के व्यावसायिक उत्पादन की संभावनाओं पर भी काम चल रहा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 08:32 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:32 PM (IST)
नई किट के जरिए किसान अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण मौके पर ही कर सकेंगे

बिलासपुर, राधाकिशन शर्मा। किसान बमुश्किल आधे घंटे में मिट्टी की सेहत की जांच रिपोर्ट हासिल कर सकेंगे। केंद्र सरकार के पेटेंट कार्यालय ने रायपुर और बिलासपुर के विज्ञानियों द्वारा तैयार पोर्टेबल किट को 20 वर्षों के लिए पेटेंट कर लिया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि विज्ञानियों ने इस पोर्टेबल मिट्टी परीक्षण किट को तैयार किया है।

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इस नई किट के जरिए किसान अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण मौके पर ही कर सकेंगे। इसमें जैविक कार्बन, मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, विद्युत चालकता व पीएच मान का पता चल सकेगा। मशीन की कीमत मात्र छह हजार रुपये है और किसानों को 20 से 25 फीसद सब्सिडी पर मिलेगी। दो दिन पूर्व पेटेंट पत्र से यह भी स्थापित हुआ है कि शिक्षा और शोध से ही आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। किट के व्यावसायिक उत्पादन की संभावनाओं पर भी काम चल रहा है।

किट को कृषि विज्ञानी डा.एसके पाटिल, डा. ललित श्रीवास्तव, डा.वीएन मिश्रा व डा. आरओ दास ने बनाया है। डॉ. दास ने बताया कि फिलहाल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के जरिए किट की बिक्री होगी। इस पोर्टेबल किट से भविष्य में कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और फसल चयन व उत्पादन के संबंध में सही निर्णय ले सकेंगे।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के निर्देश पर देशभर के किसानों को उनके खेत की मिट्टी का परीक्षण करने के बाद मृदा हेल्थ कार्ड दिया गया है। हेल्थ कार्ड में किस खेत में किस उर्वरक की कमी है इसे स्पष्टतौर पर बताया जाता है। प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में परीक्षण केंद्र की स्थापना भी की गई है, जहां परिणाम आने में चार से पांच दिन लग जाते हैं। समय और जिला मुख्यालय आने-जाने में पैसा अलग से खर्च होता है। पोर्टेबल किट के जरिए अब किसानों की मृदा परीक्षण केंद्र पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

यह है खास

मिट्टी की सेहत को लेकर पोर्टेबल किट में चार्ट बना हुआ है। मसलन मिट्टी में किस अनुपात में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, विद्युत चालकता व पीएच मान होना चाहिए। मिट्टी परीक्षण के दौरान निर्धारित अनुपात में केमिकल मिलाने पर मिट्टी अपना रंग बदलने लगती है। मिट्टी के रंगों के आधार पर तय किया जाता है कि किस उर्वरक की कमी है। उसके आधार पर मिट्टी में पोषक तत्व मिलाए जाते हैं।


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