Farmer Protests 2020: सरकार के लंच को ठुकराते हुए किसानों ने क्या दिया तर्क, कृषि मंत्री की भी नहीं मानी बात
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों की गुरूवार को केंद्र सरकार के साथ चौथे दौरे की वार्ता हुई। विज्ञान भवन में करीब सात घंटे तक चली इस बैठक में सरकार ने चर्चा के लिए पहुंचे किसान नेताओं के सत्कार की बेहतर व्यवस्था कर रखी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों की गुरूवार को केंद्र सरकार के साथ चौथे दौरे की वार्ता हुई। विज्ञान भवन में करीब सात घंटे तक चली इस बैठक में सरकार ने चर्चा के लिए पहुंचे किसान नेताओं के सत्कार की बेहतर व्यवस्था कर रखी है। जिसमें चाय- नाश्ते से लेकर खाने तक का इंतजाम किया गया था, लेकिन किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने इस दौरान अपने साथ लंगर से लाए गए खाने को ही मिल बांट कर खाया।
किसान नेताओं के लिए गुरूद्वारे से आया लंगर, सभी ने मिल बांटकर खाया
किसान नेताओं का इस दौरान कहना था कि सरकार के जिस फैसले के खिलाफ उनके साथी सड़क पर बैठे है, ऐसे में वह सरकार का खाना कैसे खा सकते है। उनका कहना था कि जब तक सरकार इस कानून को वापस नहीं लेती है, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। इस दौरान वह सरकार की ओर से किसी भी सुविधा को स्वीकार नहीं करेंगे।
#WATCH | Delhi: Farmer leaders have food during the lunch break at Vigyan Bhawan where the talk with the government is underway. A farmer leader says, "We are not accepting food or tea offered by the government. We have brought our own food". pic.twitter.com/wYEibNwDlX— ANI (@ANI) December 3, 2020
बोले- हमारे साथी सड़क पर बैठे है, ऐसे में हम सरकार का लंच और चाय कैसे ले सकते है
इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खुद भी किसान नेताओं से खाने का अनुरोध किया, लेकिन किसान अपने रूख पर अड़े रहे। कृषि कानूनों को लेकर आंदोलित किसानों की सरकार के साथ यह यह चौथे दौर की वार्ता थी। इससे पहले उनकी सरकार के साथ तीन दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन उनमें कोई निर्णय नहीं हो सका। सरकार के साथ चौथे दौर की इस वार्ता में करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। गौरतलब है कि आंदोलन किसान पिछले हफ्ते भर से दिल्ली की सीमा पर बैठे है।
हालांकि अभी वह अभी हरियाणा और यूपी की सीमा पर शांतिपूर्ण तरीके से बैठे है, लेकिन उन्होंने धमकी दे रखी है, यही सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी, तो वह दिल्ली की पूरी सीमा को बंद कर देंगे। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के इस आंदोलन की शुरूआत पंजाब से हुई थी, लेकिन अब यह देश के दूसरे हिस्सों में दिखने लगा है।