सिर्फ कर्ज का दबाव ही नहीं है किसानों की आत्महत्या की वजह : रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर किसानों की आत्महत्या वजह कर्ज नहीं बल्कि कुछ और ही है।
नई दिल्ली, जेएनएन। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा जोर-शोर से उठा। चुनावी रैलियों में किसानों की कर्जमाफी के वादे भी किए गए। चुनाव बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी कर्जमाफी का एलान किया गया। बीते कई सालों से देश में किसानों की आत्महत्या का मुद्दा काफी उछलता रहा है। कहा जाता रहा है कि किसानों की आत्महत्या की वजह सिर्फ और सिर्फ खेती में नुकसान और कर्ज का दबाव ही है। हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर किसानों की आत्महत्या वजह कर्ज नहीं बल्कि कुछ और ही है।
रिपोर्ट की माने तो महाराष्ट्र में आत्महत्या करने वाले 90 फीसद किसानों के पास दो एकड़ से भी ज्यादा जमीन थी। जबकि 10 में से 6 के पास चार एकड़ से ज्यादा। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015 में खेती से जुड़े 1290 लोगों ने आत्महत्या की थी। दिलचस्प है कि इनमें से किसान सिर्फ 581 ही थे, बाकि के कृषि से जुड़े मजदूर थे। कर्ज के चलते महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। यहां बीते कुछ सालों में 1237 किसानों ने खुदकुशी की, जबकि कर्नाटक में 787, तेलंगाना में 384 और पंजाब में 49 किसानों ने मौत को गले लगा लिया।
मध्य प्रदेश में गरीबी के चलते तीन लोगों ने आत्महत्या की। वहीं, 13 ने दिवालिया घोषित किए जाने पर अपनी जान दी। एमपी में सबसे ज्यादा घरेलू विवाद किसानों की मौत की वजह रहा। यहां 183 किसानों ने घरेलू समस्याओं के चलते अपनी जीवन लीला समाप्त की। इसके अलावा, 24 ने वैवाहिक जीवन में परेशानियों के चलते खुदकुशी की। 47 मामलों में मौत की वजह पता नहीं चल सकी। बीमारी से तंग आकर भी 300 किसानों ने आत्महत्या की है। वहीं, मानसिक बीमारी के चलते 42 ने ऐसा कदम उठाया। नशे और शराब की लत ने भी 74 किसानों को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।