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जानिए, क्‍यों राष्‍ट्रपति से लेकर खास-ओ-आम, इस पान के सब कद्रदान

श्यामल दत्ता ने बताया-सन 1935 में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मेरे पिताजी राधा विनोद दत्ता बांग्लादेश छोड़कर परिवार लेकर कोलकाता आ गए थे।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 03 Feb 2018 06:47 PM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2018 08:39 PM (IST)
जानिए, क्‍यों राष्‍ट्रपति से लेकर खास-ओ-आम, इस पान के सब कद्रदान
जानिए, क्‍यों राष्‍ट्रपति से लेकर खास-ओ-आम, इस पान के सब कद्रदान

कोलकाता, राजीव कुमार झा। पान का जिक्र होते ही जेहन में सबसे पहले बनारस का नाम उभरता है। वहां के पान पर तो 'खइके पान बनारस वाला' जैसा सुपरहिट गाना भी बन चुका है, लेकिन क्या आपको पता है कि मिठाइयों के लिए देश-दुनिया में मशहूर कोलकाता में ऐसा पान भी मिलता है, जिसके मुरीद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, डॉ वीवी गिरि और प्रणब मुखर्जी जैसे देश के पूर्व राष्ट्रपति से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व सेना प्रमुख सहित कई राज्यपाल, मुख्यमंत्री व अन्य हस्तियां रही हैं।

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इस लंबी-चौड़ी फेहरिस्त में बॉलीवुड-टॉलीवुड के चर्चित कलाकारों, मशहूर संगीतकारों, गीतकारों से लेकर साहित्यकारों के भी नाम हैं। किताबों के लिए मशहूर कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट में स्थित करीब आठ दशक पुरानी पान दुकान 'कल्पतरू भंडार' में मिलने वाले इस पान के दाम सुनकर भी आप चौंक जाएंगे। यहां पांच रुपये से लेकर 1001 रुपये तक के पान मिलते हैं। एक बार अगर यहां का पान खा लिए तो दीवाने हो जाएंगे। इस दुकान की ख्याति इतनी है कि बंगाल ही नहीं, देशभर से लोग यहां पान खाने पहुंचते हैं।

अद्वितीय है पान का स्वाद

दुकान के मालिक श्यामल दत्ता ने बताया 'हमारे पान में कई ऐसी खासियत है, जो इसे औरों से अलग बनाती है। पान में डाला जाने वाला मसाला और सुपारी का स्वाद अद्वितीय है। देश की विभिन्न जगहों से मंगवाकर इसे घर पर ही तैयार किया जाता है। पान का पत्ता भी अलग है। भुवनेश्र्वर से मीठा पत्ता मंगवाया जाता है, इसलिए स्वाद का बड़ा फर्क है। हमारे यहां का पान खाकर मुंह भी लाल नहीं होता। एक बूंद भी पीक फेंकने की इच्छा नहीं होगी और पूरा का पूरा पान पेट में जाने के साथ ही यह 100 फीसद एंजाइम की तरह काम करता है। हमारा पान कई दिनों तक फ्रिज में रखे बिना भी सुरक्षित रहता है। विदेश तक में लोग पान बनवाकर ले जाते हैं।'

सबसे मशहूर पान

दिलखुश, मुखविलास व मन मतवारा सबसे मशहूर पान हैं। सबके बजट में आने के कारण इनकी काफी मांग रहती है। वहीं, 1000 रुपये वाला 'कल्पतरु स्पेशल' खास मौकों पर या खास लोग ही मंगवाकर खाते हैं। अलग-अलग दाम वाले पान में अलग-अलग मसालों का प्रयोग होता है। कल्पतरु स्पेशल में नेहरू पत्ती, डॉलर सुपारी, कश्मीरी टैब्लेट, मेवा सुपारी, दूध सुपारी, गुलाब सुपारी, लखनऊवी सौंफ, छुआरा सुपारी, मेगुनी इलायची, स्पेशल मोवा, केसरानी, ड्राई कत्था-चूना आदि का उपयोग होता है और इसे सोने का वर्क देकर मोड़ा जाता है। दाम में उतार-चढ़ाव अथवा अनुपलब्धता के चलते बीच-बीच में चांदी के वर्क का भी उपयोग किया जाता है। अन्य पान में इस्तेमाल होने वाले मसालों में आइसी सुपारी, चांदी सुपारी, लच्छा सुपारी, छुआरा सुपारी, बनारसी सौंफ, मिल्की, टाका सुपारी, कश्मीरी टैब्लेट, लांग, इलाचयी आदि हैं। 15 से 20 प्रकार की सिर्फ सुपारी एवं 30 से 35 तरह के मसालों का इस्तेमाल होता है।

1935 में हुई थी दुकान की शुरुआत

श्यामल दत्ता ने बताया-सन 1935 में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मेरे पिताजी राधा विनोद दत्ता बांग्लादेश छोड़कर परिवार लेकर कोलकाता आ गए थे। तब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था। ढाका टाउन में उस दौरान पिताजी की पान की ही दुकान थी, इसलिए उन्होंने कोलकाता आकर इसी जगह छोटी सी पान की दुकान खोली। उस दौरान आसपास एक भी पान की दुकान नहीं थी। देखते ही देखते उनका पान लोकप्रिय हो गया। उसी दौरान पिताजी ने सोच लिया था कि बिल्कुल अलग स्वाद वाला पान लोगों को खिलाएंगे, सो घर में कच्चे मसाले व सुपारी मंगवाकर वे इसे विशेष तरीके से तैयार करते थे। कलकत्ता विश्र्वविद्यालय से यह दुकान ठीक सटे होने के कारण अध्यापकों, शिक्षा जगत के लोगों, साहित्यकारों व राजनेताओं का यहां अक्सर आना-जाना होता था, इसलिए दिनों-दिन इसकी प्रसिद्धि बढ़ती गई।

सरकारी नौकरी छोड़कर पिता की पान दुकान चला रहे इंजीनियर श्यामल

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्रीधारी श्यामल ने बताया कि 1992 में मेरे पिताजी राधा विनोद एक सड़क दुर्घटना में अपंग हो गए थे। दुकान को कौन चलाएगा, इसे लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया था, क्योंकि उस समय मैं पश्चिम बंगाल विद्युत बोर्ड में नौकरी कर रहा था। एकमात्र बेटा होने के कारण मैंने नौकरी छोड़कर दुकान को संभाला। मैंने पश्चिम बंगाल विद्युत बोर्ड में करीब चार साल नौकरी की थी। पिताजी के नक्शेकदम पर चलते हुए मैंने क्वालिटी से कभी समझौता नहीं किया। 2001 में पिताजी 82 साल की आयु में गुजर गए। 59 साल के श्यामल को आज सरकारी नौकरी छोड़ने का कोई मलाल नहीं है। उन्हें पिताजी की इस विरासत पर गर्व है। उन्होंने कहा कि आज नौकरी कर रहा होता तो मुझे कौन जानता। एक पान दुकान के जरिए आज पूरा देश मुझे जानता है।

राष्ट्रपति, पीएम व अन्य हस्तियों के सर्टीफिकेट से भरी पड़ी है दुकान

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर जिन हस्तियों ने भी इस दुकान के पान खाए हैं, उन्होंने बकायदा इसके बेमिसाल स्वाद के लिए संस्थापक राधाविनोद दत्ता के नाम धन्यवाद पत्र भी भेजा है। आज यह छोटी सी दुकान महान हस्तियों के पत्रों से भरी है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन से लेकर इंदिरा गांधी व कई पूर्व सेना प्रमुखों के लिखे पत्र यहां टंगे मिल जाएंगे, जिन्हें श्यामल ने विरासत की तरह संभाल रखा है।

इस दुकान पर आने वाली शख्सियतें

श्यामल ने बताया कि मेरे पिताजी के रहते सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, प्रणब मुखर्जी, बंगाल के पूर्व गवर्नर एएल डायस, पद्मजा नायडू, पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल चंद्र सेन, गायक मन्ना डे, बांग्ला फिल्मों के महानायक उत्तम कुमार, विश्र्वविख्यात जादूगर पीसी सरकार सीनियर, पूर्व सेना प्रमुख मानेकशॉ, लेफ्टिनेंट जनरल जेएन चौधरी, 1971 की लड़ाई के नायक जनरल अरोड़ा व कई फिल्मी हस्तियां यहां आ चुकी हैं। प्रणब मुखर्जी तो छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रपति रहने के दौरान तक कई दफा यहां आने के साथ पान मंगवाकर खा चुके हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कई बार यहां आकर पान खा चुकी हैं।


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