Family Dispute: परिवार को टूटने से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने की तीसरी बार पहल, जानें अदालत ने क्या दिया आदेश
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने एक परिवार को टूटने से बचाने के लिए तीसरी पहल की है। अब कोर्ट ने कहा कि एक बार पति ससुराल में जाकर रह आया है अब पत्नी को भी ससुराल में रहना चाहिए।
ग्वालियर, राज्य ब्यूरो। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने एक परिवार को टूटने से बचाने के लिए तीसरी पहल की है। अब कोर्ट ने कहा कि एक बार पति ससुराल में जाकर रह आया है, अब पत्नी को भी ससुराल में रहना चाहिए। इसको लेकर पत्नी के अधिवक्ता रामकिशोर शर्मा ने कहा कि उससे दिशा-निर्देश लेकर जवाब पेश करेंगे। आगामी 12 जुलाई को याचिका की सुनवाई संभावित है।
इससे पहले पति-पत्नी को जोड़ने के कोर्ट के दो प्रयास विफल हो गए हैं। पहले प्रयास के तहत पति को ससुराल भेजा गया था, दूसरे प्रयास में दोनों की मध्यस्थता कराई गई। पत्नी ने बच्चे को अपने पास रख लिया, मगर वह पति के साथ रहने को राजी नहीं हुई। पति-पत्नी दोनों साथ रह सकें, इसको लेकर अब तीसरा प्रयास किया जा रहा है। तीसरे प्रयास में कोई रास्ता नहीं निकलता है तो न्यायालय अंतिम फैसला करेगा।
सेवा नगर निवासी महिला ने हाई कोर्ट में अपने दो साल के बेटे को वापस लेने के लिए आठ फरवरी, 2022 को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। महिला ने पति, सास, ससुर व देवर पर अपने दो साल के बच्चे को बंधक बनाने का आरोप लगाया। पत्नी का कहना है कि पति की प्रताड़ना से तंग आकर उसे ससुराल छोड़ना पड़ा था। इस पर कोर्ट ने बच्चे सहित याचिकाकर्ता के पति को तलब किया था। जब वे उपस्थित हुए तो पत्नी ने पति से बच्चा मांगा, लेकिन बेटे ने मां की ओर से मुंह फेर लिया था।
इसी स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने पति को ससुराल में एक महीने रहने के लिए भेजा था। पति ज्यादा दिन ससुराल में नहीं रुक सका और घर आ गया। पत्नी ने बच्चे को अपने पास रख लिया था। कोर्ट ने पाया कि मामला घरेलू हिंसा का भी है। कोर्ट में पति-पत्नी की मध्यस्थता की गई। इस दौरान दोनों से अलग-अलग बात की गई, लेकिन पत्नी साथ रहने के लिए तैयार नहीं थी। अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने बताया कि पति तो रखने के लिए तैयार है, लेकिन पत्नी जाने के लिए तैयार नहीं है।