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सस्ते कर्ज के लिए अब बजट पर निगाहें

कर्ज सस्ता होने का एक और मौका हाथ से निकल गया। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कर्ज की दरों को मौजूदा स्तर पर ही रखने का फैसला किया।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2016 08:04 PM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2016 08:27 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । कर्ज सस्ता होने का एक और मौका हाथ से निकल गया। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कर्ज की दरों को मौजूदा स्तर पर ही रखने का फैसला किया। साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दे दिया कि आने वाले दिनों में अब कर्ज की दरों की दशा व दिशा बहुत हद तक इस महीने के अंत में पेश होने वाले आम बजट से तय होगी। यानि अगर वित्त मंत्री अरुण जेटली राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रख पाने में सफल रहते हैं तो अगले वित्त वर्ष के दौरान कर्ज सस्ता हो सकता है। आम आदमी के लिए राहत का संकेत यह है कि राजन ने अगले वित्त वर्ष के दौरान महंगाई की दर के लक्ष्य को मौजूदा लगभग 6 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने का वादा किया है।

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राजन ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम समीक्षा के दौरान कर्ज की दरों को प्रभावित करने वाले सभी वैधानिक दरों रेपो रेट, नकद आरक्षित अनुपात और बैंक रेट को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखा है। राजन ने इस बात पर फिर गंभीर चिंता जताई कि पिछले एक वर्ष में रेपो रेट में 125 आधार अंकों (1.25 फीसद) की कटौती के बावजूद बैंकों ने ग्राहकों को महज 0.65 फीसद की राहत कर्ज की ब्याज दरों में दी है। अब अगली समीक्षा 5 अप्रैल को होगी। उसके पहले 29 फरवरी, 2016 को आम बजट पेश किया जाएगा।

बजट में सरकार की तरफ से आर्थिक सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों को देखते हुए केंद्रीय बैंक आगे कर्ज को लेकर फैसला करेगा। खासतौर पर आरबीआइ की नजर राजकोषीय घाटे की स्थिति पर होगी। अगर वित्त मंत्री अगले दो-तीन वर्षो तक इस घाटे को काबू में रखने का ठोस रोडमैप देते हैं तो कर्ज के सस्ता होने की सूरत बनेगी। राजन के शब्दों में, 'आगामी बजट में विकास की गति को तेज करने और खर्च पर नियंत्रण करने के लिए सरकार क्या सुधारवादी कदम उठाती है उससे ही भविष्य में मौद्रिक नीति तय होगी।'

कर्ज की दर को फिलहाल सस्ता नहीं करने के पीछे एक अहम वजह अर्थव्यवस्था की नासाज हालात रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर के उन्होंने 7.4 फीसद ही रहने का अनुमान लगाया है लेकिन यह भी कहा है कि इसके और नीचे की तरफ जाने के आसार ज्यादा है। आरबीआइ ने अगले वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7.6 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। लेकिन मध्यम अवधि यानि तीन से पांच वर्ष के लिए आर्थिक विकास की स्थिति को लेकर बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जताई गई है।

आरबीआइ के मुताबिक मध्यम अवधि में विकास दर उम्मीद से कम रहेगी। यह अनुमान देश में निजी निवेश की घटती रफ्तार, कई उद्योगों में मांग से स्थापित क्षमता का होना और निर्यात की बेहद खराब हालात के आधार पर लगाया गया है। आरबीआइ गवर्नर की यह नाउम्मीदी सरकार के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि वह मध्यम अवधि में 8 से 10 फीसद विकास दर का लक्ष्य लेकर चल रही है। बहरहाल, आगे आर्थिक विकास दर बहुत हद तक मानसून पर निर्भर करेगी। अभी रबी फसल के सही रहने के आसार है।


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