विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने के लिए भारत प्रतिबद्ध
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने आतंकी हमले की बरसी पर कहा कि यह एक ऐसा अवसर है जिसको पूरा देश इस घटना को याद करता है।
नई दिल्ली, एएनआइ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने आतंकी हमले की बरसी पर कहा कि यह एक ऐसा अवसर है, जिसको पूरा देश इस घटना को याद करता है। देश इस घटना को दृढ़ता से महसूस करता है। उन्होंने कहा कि भारत कई देशों के साथ मिलकर इस संबंध में काम कर रहा है, जिनके नागरिकों ने साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवाई थी।
भारत न्याया की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध
विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा, 'यह एक ऐसा अवसर है, जिसको पूरा देश याद करता है। मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि हम इसके बारे में कितनी दृढ़ता से महसूस करते हैं। हम इसके न्याया की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस घटना में शामिल असली अपराधी नहीं बच पाएं।
Terrorism threatens humanity. Today, on 26/11, the world joins India in remembering its victims. Those who planned and oversaw this attack must be brought to justice. We owe this to every victim of terrorism around the world: EAM Dr S Jaishankar
(Video: EAM)#MumbaiTerrorAttack pic.twitter.com/y9BTNqcnet— ANI (@ANI) November 26, 2022
इस घटना को देते हैं अधित महत्व
उन्होंने कहा, 'आज मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले की बरसी है। इतने सालों के बाद भी इसकी योजना बनाने वाले लोगों को सजा नहीं मिल पाई है। अब तक उन्हें न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया है। यह इस प्रकार की घटना है, जिसको हम सबसे अधिक महत्व देते हैं।' मालूम हो कि साल 2008 में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के दस आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। इस आतंकवादी हमले में लगभग 166 लोग मारे गए और 300 घायल हो गए थे।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग जरूरी
पिछले माह भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की काउंटर-टेररिज्म कमेटी (CTC) की दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी बैठक की मेजबानी की थी। इस दौरान भारत के पास इसकी अध्यक्षता थी। इसके बैठक के बाद दिल्ली घोषणा पत्र जारी की गई, जिसमें रेखांकित किया गया कि आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचने का अवसर एक महत्वपूर्ण चिंता बनी हुई है। इस घोषणा पत्र में यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी सदस्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह से सहयोग करना चाहिए।
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