Exit Exam से भी तय होगी मेडिकल कॉलेजों की रैकिंग, जानें- क्या कहता है NMC Rules
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Dr Harshvardhan) के अनुसार सिर्फ बड़ी बिल्डिंग और शानदार क्लास रूम से ही किसी कॉलेज की गुणवत्ता का आधार नहीं हो सकता है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। MBBS का Exit Exam देश भर के मेडिकल कॉलेजों की रैकिंग में सबसे कारगर तरीका साबित हो सकता है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग कानून के तहत MBBS की अंतिम साल की परीक्षा को Exit Exam के रूप में पूरे देश में एक साथ कराने का प्रस्ताव है।
कानून में Exit Exam लागू करने के लिए तीन साल का समय दिया गया है, लेकिन इसे उसके पहले ही लागू करने की कोशिश की जा रही है। एक्जिट एक्जाम के गुणवत्ता का पैमाना बनने के साथ ही मेडिकल कॉलेजों के सालाना जांच की जरूरत भी खत्म हो जाएगी, जो एमसीआइ के जमाने में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा जरिया बन गया था।
कॉलेज की गुणवत्ता रैंकिंग का बेहतर पैमाना
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Dr Harshvardhan) के अनुसार सिर्फ बड़ी बिल्डिंग और शानदार क्लास रूम से ही किसी कॉलेज की गुणवत्ता का आधार नहीं हो सकता है। बल्कि उसकी गुणवत्ता का इससे पता चलता है कि वहां की फैकल्टी कैसी है, पढ़ाई कैसी हो रही है और उसमें पढ़ने वाले छात्रों का रिजल्ट कैसा आ रहा है। एक्जिट एक्जाम में पास होने वाले MBBS डाक्टरों की संख्या और उनके आने वाले अंकों से आसानी से पता चल पाएगा कि किस कॉलेज में कितनी पढ़ाई होती है और उसकी फैकल्टी कैसी है। जो किसी भी कॉलेज की गुणवत्ता की रैंकिंग का सबसे बेहतर पैमाना हो सकता है।
नहीं काटना होगा चक्कर
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अरुण सिंघल ने साफ किया कि एक्जिट एक्जाम किसी कॉलेज की रैकिंग का अकेला पैमाना तो नहीं हो सकता है, लेकिन एक अहम पैमाना जरूर होगा। उनके अनुसार प्रस्तावित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के चार बोर्डो में से एक बोर्ड का काम मेडिकल कॉलेजों की गुणवत्ता की निगरानी करने का होगा। लेकिन उसे MCI की तरह हर साल कॉलेजों की जांच करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यानी कॉलेजों को सालाना जांच का सामना करने से मुक्ति मिल जाएगी। इसका एक सकारात्मक प्रभाव यह भी होगा कि कॉलेजों के हर साल MBBS की सीटों के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग का चक्कर नहीं काटना होगा, जैसा MCI के समय होता है।
अलग से ली जाती थी प्रवेश परीक्षा
दरअसल मौजूदा व्यवस्था में सभी मेडिकल यूनिवर्सिटी MBBS कोर्स की सारी परीक्षा खुद ही आयोजित करते हैं। अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ाई और परीक्षा के स्तर के अंतर के कारण वहां से निकलने वाले एमबीबीएस डाक्टरों की गुणवत्ता का स्तर भी अलग-अलग होता है। यही कारण है कि MBBS के बाद MS या MS में नामांकन के लिए NIIT (PG) नाम से अलग से प्रवेश परीक्षा ली जाती थी।
एक्जिट एक्जाम के कारण पूरे देश में MBBS डाक्टरों की गुणवत्ता का स्तर समान हो जाएगा। इसके साथ ही एक्जिट एक्जाम में आने वाले अंकों के आधार पर मेडिकल के पोस्टग्रेजुएट कोर्स में नामांकन का रास्ता साफ हो जाएगा। यानी NIIT (PG) की जरूरत ही खत्म हो जाएगी।
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