हबीबुल्ला बोले- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण, शीर्ष अदालत निर्णय पर करे पुनर्विचार
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम)के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने सोमवार को कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत ही त्रुटिपूर्ण है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम)के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने सोमवार को कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत ही त्रुटिपूर्ण है। फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में इसके कानूनी निहितार्थ हो सकते हैं। देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त रहे हबीबुल्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से दोनों समुदायों को संतुष्ट करने का प्रयास किया है।
पीटीआइ से उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि फैसला बहुत ही त्रुटिपूर्ण है। मैं इस फैसले को रचनात्मक नहीं कहूंगा, लेकिन यह घातक फैसला भी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे दो बड़े समुदाय की चिंताओं का समाधान करने की कोशिश की गई है।' उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर, फैसले में विवादित ढांचे को ढहाने को गैरकानूनी बताया गया है..और यह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी माना है कि हिंदुओं की भी इसमें हिस्सेदारी बनती है, हालांकि, हिस्सेदारी की प्रकृति से, मैं सहमत नहीं हूं।'
हबीबुल्ला 2005 से 2010 तक मुख्य सूचना आयुक्त रहे थे। उसके बाद वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बने थे। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद घयोरुल हसन रिजवी के इस दावे पर कि फैसले से मुस्लिम समुदाय खुश है, हबीबुल्ला ने कहा कि उनके बयान को मुस्लिम समुदाय में गंभीरता से नहीं लिया जाता।
यह पूछे जाने पर कि क्या मुस्लिम समुदाय को फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जानी चाहिए, एनसीएम के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस फैसले के कानूनी निहितार्थ हैं, इसलिए यह अच्छा रहेगा कि सुप्रीम कोर्ट उस पर पुनर्विचार करे।
मुस्लिम लीग ने अयोध्या फैसले को निराशाजनक बताया
केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के दूसरे सबसे बड़े धड़े इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) ने सोमवार को कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत ही निराशाजनक है। मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय नेताओं की यहां हुई बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद पीके कुन्हालकुट्टी ने कहा कि फैसला बहुत ही विरोधाभासी है। इस पर व्यापक बहस की जरूरत है कि क्या किया जाना चाहिए।
बता दें कि शनिवार को फैसला आने के बाद आइयूएमएल के सुप्रीमो हैदरअली शिहाब थंगल ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय फैसले को स्वीकार करेगा और फैसले को लेकर किसी तरह का उपद्रव नहीं होना चाहिए।