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हर साल एक लाख लोग कर रहे आत्महत्या, आप पहले ही जान सकते हैं लक्षण

बार-बार किसी बात या हादसे को लेकर लंबे समय तक परेशान होना और अपराध बोध महसूस करना। इस तरह के नकारात्मक विचारों का बार-बार आना।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Nov 2018 01:41 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 02:14 PM (IST)
हर साल एक लाख लोग कर रहे आत्महत्या, आप पहले ही जान सकते हैं लक्षण
हर साल एक लाख लोग कर रहे आत्महत्या, आप पहले ही जान सकते हैं लक्षण

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में आत्महत्या के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। विश्व में प्रतिवर्ष लाखों लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं, जिनमें से लगभग एक लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। यह गंभीर स्थिति आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति की भयावहता को दर्शाती हैं। क्यों करते हैं लोग आत्महत्या और क्या इस गंभीर मनोरोग को दूर किया जा सकता है।

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अनेक लोगों की यह धारणा है कि अवसाद (डिप्रेशन) और आत्महत्या जैसी मानसिक समस्याएं सिर्फ अशिक्षित व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों तक हीसीमित हैं। ऐसी धारणा आत्महत्या के संदर्भ में आंशिक रूप से ही सच है। सच्चाई का दूसरा पहलू यह है कि इन दिनों शिक्षित, संभ्रांत व संपन्न वर्ग के लोगों में भी आत्म हत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं।

सुझाव
यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या की बात करता है, तो उससे इन विषयों में बात करने से न हिचकिचाएं...

  • रोगी को स्पष्ट शब्दों में बताएं कि वह हम सबके लिए, परिवार व बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • यह मनोरोग आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।
  • परिजन व दोस्त होने के नाते रोगी को इस बात का विश्वास दिलाएं कि हम उसकी तकलीफ को समझते हैं और हर वक्त बिना शर्त उसके लिए उपलब्ध हैं।
  • रोगी को इस बात का विश्वास दिलाएं कि उसके कष्ट सीमित समय के लिए हैं और कुछ दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाएगा।

ऐसे करें बचाव
किसी शख्स को आत्महत्या से बचाने के लिए आपका डॉक्टर या विशेषज्ञ होना जरूरी नहीं है। आम आदमी जो रोगी के परिजन हैं या उसके संगी-साथी हैं, वे भी अनेक बार बेहतर रूप से रोगी की सहायता कर सकते हैं और किसी की जान भी बचा सकते हैं। इस संदर्भ में आत्महत्या की मंशा रखने वाले व्यक्ति की मनोदशा को समझना जरूरी है। आत्महत्या की मंशा रखने वाले व्यक्ति की मनोदशा जीवन और मृत्यु की दुविधा में झूलती रहती है। वह दिल से तो जीना चाहता है, लेकिन उसे तकलीफों का अंत आत्महत्या में ही दिखता है। इस कारण वह मन के विरुद्ध गलत निर्णय ले बैठता है। ऐसे में परिजन, संगी व साथी यदि भावनात्मक रूप से पीड़ित व्यक्ति के साथ हैं और बिना शर्त रोगी को सुनने के लिए तैयार हैं और उसकी तकलीफ को समझ लें, तो रोगी सहज रूप से जीवन जीना स्वीकार कर लेता है।

आत्महत्या से पूर्व इन परिवर्तनों को पहचानें

  • मन उदास होना और अलग-थलग रहना।
  • बार-बार किसी बात या हादसे को लेकर लंबे समय तक परेशान होना और अपराध बोध महसूस करना। यह सोचना कि अब कुछ नहीं हो सकता या सब कुछ बर्बाद हो गया। इस तरह के नकारात्मक विचारों का बार-बार आना।
  • अत्यधिक गुस्सा आना, हर वक्त मरने-जीने की बात करना या आर-पार की लड़ाई की धमकी देना।
  • शराब या नशा करना या उसकी मात्रा बढ़ा देना।
  • लापरवाही से रहना और खुद को जोखिम में डालना।
  • नींद न आना, भूख न लगना व दैनिक कार्र्यों में अरुचि पैदा होना।

आत्महत्या का प्रयास और इलाज
जो व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास करने की मनोदशा में हैं, उसे शीघ्र ही मनोरोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं। मनोरोग विशेषज्ञ ऐसे शख्स की मानसिकता या मनोदशा का आकलन करता है। इसके बाद वह मरीज के इलाज और निगरानी की व्यवस्था को निर्धारित करता है। यही नहीं,मनोरोग विशेषज्ञ कुछ अन्य कार्य भी करते हैं। जैसे वह...

  • मरीज के जीवन की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
  • वह मरीज के मन में छिपी बातों को जानने का प्रयास करता है।
  • वह मरीज के साथ सहयोगपूर्ण संबंध स्थापित करने की कोशिश करता है।
  • वह मरीज और उसके परिजनों को कुछ ऐसे सुझाव देता है, जिससे मरीज आत्महत्या करने की मनोदशा से उबर सके।

विशिष्ट इलाज
आत्महत्या की मनोदशा वाले व्यक्ति को अवसाद रोधक दवाएं(एंटी डिप्रेशेंट्स) दी जाती हैं। गंभीर मामलों में रोगी पर इलेक्ट्रोकनवल्सिव थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा काउंसलिंग और साइकोथेरेपी भी दी जाती है।

ध्यान दें
आत्महत्या पर यदि कोई व्यक्ति आमादा ही है, तो उसे अकेला न छोड़ें। आत्महत्या करने की मंशा रखने वाले लोगों के संदर्भ में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है। जैसे पहली भ्रांति तो यही कि जो लोग आत्महत्या करने की बात करते हैं, वे कभी आत्महत्या नहीं करते और आत्महत्या करने वाला व्यक्ति चेतावनी दिए बगैर आत्महत्या कर लेता है। वस्तुत: सच्चाई यह है कि आत्महत्या करने की मनोदशा रखने वाले लगभग 80 फीसदी लोग खुदकुशी करने से चंद हफ्ते या चंद महीने पहले से ही स्पष्ट तौर पर पूर्व चेतावनियां दे देते हैं।

इसके अलावा एक अन्य भ्रांति यह है कि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से मरने का इरादा कर लेता है, जिसे रोक पाना मुश्किल है। यह धारणा गलत है। सच तो यह है कि आत्महत्या करने का इरादा रखने वाले ज्यादातर लोग आत्महत्या को अंजाम देने के बारे में असमंजस की स्थिति में होते हैं।

डॉ.शौनक अजिनक्या
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ, कोकिलाबेन-धीरूभाई अंबानी
हॉस्पिटल, मुंबई


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