Earth Hour 2022: अर्थ ऑवर पर भारत सहित दुनिया भर में कार्यक्रम हुए, दिग्गजों ने दिए ये संदेश
पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा की बचत का संदेश देते हुए दैनिक जागरण और डब्लूडब्लूएफ इंडिया ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक कैंपेन का आयोजन किया। इस मौके पर डब्लूडब्लूएफ इंडिया की ओर से एक फेसबुक लाइव कार्यक्रम आयोजित किया गया।
नई दिल्ली, जागरण टीम। पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा की बचत का संदेश देते हुए दैनिक जागरण और डब्लूडब्लूएफ इंडिया ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक कैंपेन का आयोजन किया। शनिवार शाम अर्थ आवर भारत समेत पूरी दुनिया मनाया गया। इस मौके पर डब्लूडब्लूएफ इंडिया की ओर से एक फेसबुक लाइव कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें बॉलीवुड और संगीत जगत की कई बड़ी हस्तियों ने अपने अपने अंदाज में पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया। कार्यक्रम का संचालन संगीतकार शांतनु मोइत्रा ने किया।
अर्थ आवर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मशहूर गायिका शुभा मुद्गल कहती है कि हमारे शहरों की हवा खराब हो रही है। पर्यावरण खराब हो रहा है। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए पर्यावरण संरक्षण उनकी संस्कृति का हिस्सा है। कई शास्त्रीय और लोकगीतों में पेड़ों, नदियों का जिक्र होता है। कई गीतों में हम पीपल, कदंब के पेड़ों के बारे में बताते हैं।
(अर्थ आवर के दौरान इंडिया गेट की लाइट को बंद किया गया)
अभिनेत्री दिया मिर्जा ने इस मौके पर कहा कि हाल ही में इंसान के खून में माइक्रोप्लास्टिक के पहुंचने की कुछ रिपोट्स आई है। यह बेहद चिंताजनग और लोगों की सेहत के लिए काफी खतरनाक है। हमें एकजुट होकर इन समस्याओं का हल तलाशना होगा। हमें अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाना होगा।
संगीतकार मोहित चौहान कहते हैं कि हमें अपनी जड़ों से जुड़ना होगा तभी बदलाव संभव है। चौहान कहते हैं कि आप प्रकृति को महसूस करिए, वो प्रकृति के एहसास को समझने के लिए जगह-जगह घूमते हैं। उन्होंने कहा कि अर्थ ऑवर एक बेहतर प्रतीक है। प्रकृति से हम सब कुछ लेते रहते हैं पर उसे देने की जरूरत है। प्रकृति से ही हमारा अस्तित्व है। उसे सहेजना होगा।
(अर्थ आवर के दौरान हुमायूं मकबरे की लाइट को बंद किया गया)
सेजल वाराह कहती हैं कि हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे तभी हम पर्यावरण में कुछ बेहतर कर सकेंगे। हमें दिन में अपने हिस्सेदारी का कुछ करना होगा। वह कहती है कि एक घंटे लाइट बंद करने की बात नहीं है यह बदलाव का प्रतीक है।
संगीतकार, गायक स्वानंद किरकिरे कहते हैं कि क्राइसिस तो मानव क्रिएट कर रहा है। पर्यावरण के बारे में लोगों को जागरुक करना बेहद जरूरी है। जब तक लोग इस बारे में विचार नहीं करेंगे तब तक बदलाव नहीं आएगा। लोगों में जागरुकता आना बेहद आवश्यक है। फूल न तोडूं जी, पत्ती न तोड़ूं जी, न कोई पेड़ दिखाऊं जी। वन-वन की लकड़ी न तोड़ूं, न ही मैं नीर बहाऊं जी।
कबीर कैफे के नीरज आर्या बताते हैं कि कबीर कहते थे झाड़ में तू है, आसमान और धरती में तू ही तू है। वह कहते हैं कि एक रोशनी हम सबमें है जिसकी कद्र हमें करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं अपने कंसर्ट में पर्यावरण जागरुकता के लिए बात करूंगा।
(अर्थ आवर के दौरान कुतुब मीनार की लाइट को बंद किया गया)
माटी बानी के निराली कार्तिक और कार्तिक कहते हैं कि प्रकृति से हमारा रिश्ता बेहतर हुआ। वह कहती है कि हमारे यहां इतनी भाषाएं है। प्रकृति में जीवों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। कोयल के ही कई नाम है। हमारी पूरी कोशिश है कि प्रकृति के लिए जो कुछ कर सकें वह कम होगा। यह हमारी जिम्मेदारी है।
प्रसिद्ध गायक पेपॉन कहते हैं कि मैं असम में कई जगहों पर जा रहा हूं। मैं महसूस कर रहा हूं कि प्रकृति से जुड़ाव कम हुआ है। नदियां, पक्षी, पेड़ हमारे जीवन का हिस्सा थे।
शांतनु मिर्जा कहते हैं कि हम सब मिलकर ही इस धरती को सबके लिए एक बेहतर बना सकते हैं। आप डेवलपमेंट करें लेकिन प्रकृति को भी संरक्षित करें। हमें सतत प्रयास करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि हम प्रकृति के बारे में सोचना होगा।