Move to Jagran APP

Economic Recession: विश्‍व के कई देशों पर आर्थिक मंदी का गहरा रहा संकट, जानिए-क्‍या भारत है इनमें शामिल

कोरोना महामारी के बाद से ही विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। कुछ देश तो इससे उबर ही नहीं पाए हैं। वहीं यूक्रेन-रूस युद्ध ने सही होती अर्थव्‍यवस्‍था को फिर से पुरानी स्थिति में भेजने का काम किया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 14 Nov 2022 02:53 PM (IST)Updated: Mon, 14 Nov 2022 02:53 PM (IST)
Economic Recession: विश्‍व के कई देशों पर आर्थिक मंदी का गहरा रहा संकट, जानिए-क्‍या भारत है इनमें शामिल
कई देशों में आर्थिक मंदी की आहट सुनाई दे रही है।

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। कोरोना महामारी के बाद से ही विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था वापस पटरी पर आने की कोशिश कर रही है। वहीं कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍था पटरी से उतर चुकी है। यही वह है कि जानकार और विभिन्‍न संगठन विश्‍व के कई देशों में गहराते आर्थिक मंदी के संकट की तरफ आगाह कर चुके हैं। इन जानकारों का कहना है कि विश्‍व के कई देशों में आर्थिक मंदी का संकट गहराता दिखाई दे रहा है। यदि ये बात सच साबित हुई थी तो विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था जो कि पहले से ही कोरोना महामारी के चलते बेपटरी हो रखी है, और बुरी स्थिति में पहुंच जाएगी।इस बीच ये सवाल उठना लाजमी है कि इन देशों में कौन से देश शामिल हैं और क्‍या भारत में भी इस तरह का कोई संकट है। इस सवाल का जवाब तलाशना बेहद जरूरी है।

loksabha election banner

आर्थिक मंदी का सामना कर सकते हैं ये देश 

दरअसल, विश्‍व के कई देशों में आर्थिक संकट को लेकर जो चेतावनी दी गई है वो यूरोपीय संघ ने दी है। ईयू का कहना है कि 19 देशों के यूरोजोन में आर्थिक मंदी का संकट साफ दिखाई दे रहा है। ईयू के मुताबिक इसके सदस्‍य देश इन सर्दियों में आर्थिक मंदी का सामना करेंगे। ईयू ने इसकी सबसे बड़ी वजह महंगाई और ईंधन की बढ़ती कीमतों को बताया है। ईयू का कहना है कि विश्‍व में 2020-2021 में आई कोविड-19 महामारी ने आर्थिक गतिवधियों को काफी हद तक बर्बाद किया है। इससे जब राहत मिलने लगी तो यूक्रेन-रूस हमले ने इसको वापस पटरी से उतारने का काम किया है। इसकी वजह से विश्‍व के बाजार में ईंधन की कीमत काफी बढ़ गई है। इतना ही नहीं इसका असर हर तरफ देखने को मिल रहा है।

यूरोप का हाल 

ईयू ने उन मुश्किलों का भी जिक्र किया है जिसकी वजह एनर्जी क्राइसेस को झेलना पड़ रहा है और इसकी वजह से महंगाई की मार ये देश झेल रहे हैं। बता दें कि यूरोपीय संघ में कुल 28 देश शामिल हैं। ईयू का कहना है कि इस वर्ष के अंत में यूरोप में महंगाई अपने चरम बिंदु तक पहुंच सकती है। इसका असर 2023 की पहली तिमाही तक बना रहने की आशंका है। इसके बाद यूरोप वापस पटरी पर लौटने लगेगा। ईयू का कहना है 2023 में विकास दर 0.3 फीसद तक जा सकती है। जिस आर्थिक मंदी की तरफ ईयू ने इशारा किया है उसका सामना पहले से ही दुनिया की चौथी और यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी पहले से ही कर रहा है। ईयू के आंकलन के मुताबिक जर्मनी की जीडीपी में 2023 में भी गिरावट जारी रह सकती है।

चीन और जर्मनी 

बता दें कि हाल ही में जर्मनी और चीन के बीच कारोबारी रिश्‍तों में मजबूती आई है। लेकिन, चीन की जीरो कोविड नीति इस पर भारी पड़ रही है। चीन के विभिन्‍न शहरों में लाकडाउन लगा हुआ है। इसकी बदौलत चीन में जर्मनी की मशरीनरी की मांग में गिरावट दर्ज की गई है। जर्मनी के एकीकरण के बाद पहली बार महंगाई दर 10 फीसद के पार दर्ज की गई है। वहीं ब्रिटेन भी आर्थिक मंदी की चपेट में आने लगा है। सितंबर में वहां की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है। देश के मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में आई गिरावट और अधिक छुट्टियों की वजह से ये गिरावट दर्ज की गई है। बीते 4 दशकों में ब्रिटेन में महंगाई दर सबसे अधिक है। इसकी वजह यूक्रेन-रूस युद्ध है। इससे बचने के लिए द बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दर को बढ़ा दिया है। इस वजह से देश में लंबे समय तक आर्थिक मंदी का असर बना रह सकता है।

अमेरिका और भारत के पड़ोसी देश 

इसी तरह से अमेरिका में भी महंगाई कई दशकों में अपने चरम पर है। ये इस बार बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना है। वहीं यदि बात करें भारत की तो यहां पर आर्थिक मंदी का खतरा नहीं है। हालांकि, आईएमएफ ने देश की आर्थिक वृद्धि दर को करीब 7 फीसद कर दिया है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत कहीं अधिक बेहतर स्थिति में है। अगले वर्ष भी भारत में आर्थिक वृद्धि की दर चीन समेत कई देशों से बेहतर रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि भारत के पड़ोसी देशों में इस आहट को सुना जा सकता है। ये देश पहले से ही आर्थिक रूप से बदहाल होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।   

इंडोनेशिया के बाली से बढ़ेगा विश्‍व का राजनीतिक पारा, वजह है G-20 Summit और इसमें मौजूद बाइडन, शी और लावरोव

Green Energy के इस्‍तेमाल में ब्रिटेन समेत कई देशों से आगे है भारत, जानें- टाप-10 में कौन-कौन है शामिल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.