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सात साल बाद एक नई पहल, व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू करेंगे भारत और ईयू

सात साल बाद यूरोपियन यूनियन और भारत के बीच व्यापार को लेकर दोबारा बातचीत शुरू होगी

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 10:15 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:15 PM (IST)
सात साल बाद एक नई पहल, व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू करेंगे भारत और ईयू
सात साल बाद एक नई पहल, व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू करेंगे भारत और ईयू

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : भारत और यूरोपीय संघ सात वर्षो बाद एक व्यापक कारोबारी व निवेश समझौते पर बातचीत नए सिरे से शुरू करने को तैयार हो गए हैं। इसके लिए दोनो पक्षों के बीच एक उच्च स्तर की मंत्रिस्तरीय वार्ता शुरू की जाएगी जो अगले महीने से ही अपना काम शुरू कर देगी ताकि जल्द से जल्द द्विपक्षीय निवेश व कारोबार समझौते को मूर्त रूप दिया जा सके।

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भारत और यूरोपीय संघ की 15वीं शिखर बैठक (वर्चुअल मीडिया पर) बुधवार को संपन्न हुई जिसमें चीन व पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों, कश्मीर की स्थिति जैसे संवेदनशील मुद्दों के अलावा भावी सैन्य व रणनीतिक सहयोग को प्रगाढ़ करने, हिंद महासागर में सामुद्रिक व नौ सैनिक संबंधों को मजबूत बनाने जैसे बेहद अहम मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह भारत के साथ रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाएगा।

कश्मीर और मानवाधिकार के मुद्दे को यूरोपीय संघ की तरफ से काफी मजबूती से उठाया। वार्ता के बारे में जानकारी देते हुए संयुक्त सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप के मुताबिक, 'ईयू की प्रेसिडेंट चा‌र्ल्स मिशेल ने बैठक में बताया कि फरवरी, 2020 में विदेश सचिव की ब्रसेल्स यात्रा के दौरान कश्मीर पर बात हुई थी और अब उन्हें इस मुद्दे की ज्यादा बेहतर समझ है। साथ ही यूरोपीय संघ ने अपनी प्रेस वार्ता में भी भारतीय व्यवस्था पर भरोसा जताया है कि वह इन मुद्दों को सुलझा सकता है।'

उधर, प्रेसिडेंट मिशेल ने अपनी प्रेस वार्ता में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर कहा कि, 'यह हमारे संसद में एक प्रमुख मुद्दा है, हमने इसे पीएम (नरेंद्र मोदी) के साथ उठाया। हम भारतीय संस्थानों पर भरोसा करते हैं। हम समझते हैं कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट की भी भूमिका होगी। हम इस बारे में आगे भी भारतीय अथॉरिटीज से बात करते रहेंगे कि इस अहम मुद्दे को किस तरह से आगे सुलझाया जाए।'

जाहिर है कि कश्मीर का मुद्दा उठा लेकिन द्विपक्षीय रिश्तों की व्यापकता के सामने दोनो पक्ष इस पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे। पीएम मोदी ने ईयू को भारत का स्वभाविक साझेदार बताया क्योंकि दोनों पक्ष लोकतंत्र, बहुवाद, अंतरराष्ट्रीय कानून का आदर जैसे मुद्दों पर भरोसा करते हैं। उन्होंने भारत-ईयू रिश्तों को लेकर एक ज्यादा गतिशील एजेंडा बनाने की बात कही। यूरोपीय संघ की प्रेसिडेंट मिशेल ने कहा कि, 'हम भविष्य में भारत के साथ ज्यादा मजबूत रणनीतिक रिश्ता चाहते हैं। भारत हम पर भरोसा कर सकता है और हम भी भारत पर एक महत्वपूर्ण साझेदार के तौर पर भरोसा करते हैं।'

वार्ता तीन प्रपत्र जारी

शिखर वार्ता के बाद तीन प्रपत्र जारी किए गए। भारत-ईयू रणनीतिक साझेदार : 2025 का रोडमैप नाम से जारी प्रपत्र में सैन्य साझेदारी को बढ़ाने के लिए डिफेंस व सुरक्षा से जुड़े वार्ता को और तेज करने की बात कही गई है। हिंद महासागर में सामुद्रिक सुरक्षा को लेकर आपसी सहयोग को भी प्रगाढ़ करने की बात कही गई है। इसके लिए दोनों पक्षों के बीच नौसैनिक सहयोग को मजबूत करने की व्यवस्था की जाएगी। अगले पांच वर्षो के लिए रणनीतिक लक्ष्यों के अलावा संयुक्त घोषणा पत्र और स्वच्छ ऊर्जा पर भी एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया गया। इसका महत्व इसलिए है कि कुछ दिन पहले ही यूरोपीय संघ और चीन के बीच भी शिखर बैठक थी लेकिन उसके बाद कोई संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं किया गया।

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