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इंतजार की घड़ियां खत्म: गीता स्वयंवर से चुनेगी वर, शादी के लिए दो दिवसीय आयोजन आज से

गीता से अपने जीवन की डोर जोड़ने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही नहीं, सरकारी व निजी कंपनी में नौकरी करने वालों के साथ ही किसान और होटल में काम करने वाले युवक भी लालायित हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 Jun 2018 10:41 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jun 2018 06:46 AM (IST)
इंतजार की घड़ियां खत्म: गीता स्वयंवर से चुनेगी वर, शादी के लिए दो दिवसीय आयोजन आज से

नईदुनिया, इंदौर: आखिर वह घड़ी आ गई, जिसका पाकिस्तान से आई मूक-बधिर गीता ही नहीं बल्कि विदेश मंत्रालय और ¨हदुस्तान की जनता को भी इंतजार था। मध्य प्रदेश के इंदौर में गुरुवार को गीता का 'स्वयंवर' रचाया जाएगा। गीता को जीवनसंगिनी बनाने के लिए देश भर से कई युवकों ने प्रयास किया था, मगर मौका मिला है सिर्फ 14 को। इनमें से एक को वह अपना जीवनसाथी चुनेगी। दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन छह से तो दूसरे दिन वह आठ लड़कों से मुलाकात करेगी।

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गीता से अपने जीवन की डोर जोड़ने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही नहीं, सरकारी व निजी कंपनी में नौकरी करने वालों के साथ ही किसान और होटल में काम करने वाले युवक भी लालायित हैं। माता-पिता की तलाश नहीं हो पाने पर गीता ढाई साल से इंदौर के स्कीम 71 स्थित मूक-बधिर संगठन में रह रही है। इस बीच उसके माता-पिता की तलाश जारी है। दो दर्जन से ज्यादा दंपतियों ने उसके माता-पिता होने का दावा किया, लेकिन कोई भी उसे बेटी साबित नहीं कर पाया। इस बीच उसके लिए दूल्हा ढूंढने का सिलसिला शुरू हुआ।

विदेश मंत्रालय से हरी झंडी मिलने पर फेसबुक पर वर तलाशने की पोस्ट शेयर की गई। दस-दस मिनट ही मिलेगा मिलने का समयगीता से शादी के लिए देशभर से करीब 50 युवकों के बायोडाटा पहुंचे थे। प्रशासन ने इनमें से 30 का चयन किया था। इनके बायोडाटा व फोटो गीता को दिखाए गए। गीता ने 16 का चयन किया, जिनमें से 14 युवकों को मिलने का आमंत्रण भेजा गया है। इन्हीं 14 युवकों में से गीता अपने लिए जीवनसाथी चुनेगी। सभी युवकों को गीता से मुलाकात व बातचीत के लिए दस-दस मिनट का वक्त दिया जाएगा। 'स्वयंवर' के समय गीता की पसंद अंतिम होगी।

मूक बधिर ही नहीं सामान्य युवक ने भी संजोये हैं गीता संग ब्याह रचाने के सपने सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने साफ किया है कि गीता से शादी करने के इच्छुक युवकों में एक युवक मूक बधिर नहीं है। वह न केवल सामान्य है बल्कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी है। गुरुवार को जो युवक गीता से मुलाकात करेंगे, उनमें पैरों से दिव्यांग, पूरी तरह मूक-बधिर, आंशिक मूक-बधिर और सामान्य भी हैं। 'स्वयंवर' में शामिल होने इन शहरों से आए हैं युवक पुरोहित ने बताया कि जिन युवकों को गीता से मिलने के लिए बुलाया गया है वह मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल, टीकमगढ़, उत्तर प्रदेश के मथुरा, आगरा, अलीगढ़ और राजस्थान, दिल्ली, गुजरात और बिहार से हैं। यह 'स्वयंवर' इंदौर के परदेशीपुरा स्थित समाजकल्याण परिसर में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में होगा।

-देश भर से कई युवकों ने किया प्रयास पर मौका मिला सिर्फ 14 को

- किसान से लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर तक जीवनसंगिनी बनाने के लिए लालायित

ऐसे गीता बनी 'भारत की बेटी' मूक-बधिर गीता बचपन में किसी तरह भटककर पाकिस्तान पहुंच गई थी। जब विदेश मंत्रालय को पता चला तो गीता को दिसंबर 2015 को पाकिस्तान से लाया गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उसे 'भारत की बेटी' कहा था और जल्द से जल्द उसे माता-पिता से मिलवाने की बात कही थी। ढाई साल में 25 से ज्यादा परिवारों ने गीता को अपनी बेटी बताया। एक दर्जन दंपती का डीएनए टेस्ट भी करवाया गया, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। इस बीच उसकी जिंदगी में काफी बदलाव आए। वह संस्था में सांकेतिक भाषा, कंप्यूटर, लिखना-पढ़ना सीखने लगी। माता-पिता नहीं मिलने के कारण वह डिप्रेशन का शिकार होने लगी थी, तभी शासन स्तर पर उसकी शादी का फैसला लिया गया।

क्या होता है 'स्वयंवर'

अपनी पसंद के पति के चुनाव के लिए आयोजित उत्सव या समारोह को 'स्वयंवर' कहा जाता है। वैदिक काल में यह प्रथा समाज के चारों वणरें में प्रचलित थी। रामायण और महाभारत काल में भी यह प्रथा राजन्य वर्ग में प्रचलित थी। रामायण काल में सीता के 'स्वयंवर' में श्रीराम ने शिव का धनुष तोड़ा था। उसके बाद सीता ने श्रीराम का वरण किया था। इसी तरह महाभारत काल में द्रोपदी के 'स्वयंवर' में अर्जुन ने मछली की आंख पर निशाना साधा था। उसके बाद द्रोपदी ने अर्जुन का वरन किया था। पूर्व मध्यकाल में भी इस प्रथा के प्रचलित रहने के प्रमाण हैं, जैसा कि संयोगिता के स्वयंवर से स्पष्ट है। कन्नौज के राजा जयचंद ने बेटी संयोगिता की शादी के लिए भी 'स्वयंवर' का आयोजन किया था, जिसमें संयोगिता ने पृथ्वीराज की मूर्ति को वरमाला डाल दी थी।

एक और दंपती ने किया गीता के माता-पिता होने का दावा

वर तलाशी के बीच महाराष्ट्र के एक दंपती ने गीता के माता-पिता होने का दावा किया है। मंगलवार को संभावित पिता गीता से मिलने भी आए थे। उन्होंने अपना नाम रमेश सोलसे और पत्नी का नाम आशा बताया। वह नासिक की डिंडोरी तहसील के पालखेड़ बंधारा गांव का रहने वाले हैं। वह पत्नी की तस्वीर साथ लाए थे, जिसका चेहरा गीता से मिलता-जुलता नजर आया। उन्हें पत्नी को लेकर आने के लिए कहा गया है। इसके बाद दोनों का डीएनए टेस्ट होगा।
 


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