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बेहद कारगर रहा है संसद का छोटा सा सत्र, जानें कौन से खास विधेयक हुए पारित, क्‍या होगा लाभ

संसद का मानसून सत्र भारी हंगामे के बाद खत्‍म हो गया है। ये सत्र छोटा तो जरूर था लेकिन इस दौरान सरकार कई अहम विधेयकों को पारित करवाने में सफल रही। राज्‍य सभा के लिए ये दूसरा सबसे छोटा सत्र भी रहा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 09:41 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 10:03 AM (IST)
बेहद कारगर रहा है संसद का छोटा सा सत्र, जानें कौन से खास विधेयक हुए पारित, क्‍या होगा लाभ
संसद का मानसून सत्र इस बार तय समय से आठ दिन पहले ही खत्‍म कर दिया गया।

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। कोविड-19 महामारी के खतरे को देखते हुए संसद का मानसून सत्र निर्धारित समय से आठ दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया। दस दिनों का छोटा सा ये सत्र काफी अहम रहा। इस सत्र में दो दर्जन से अधिक विधेयक पास किए गए। इसके अलावा ये सत्र सांसदों के निलंबन, विधेयकों पर मचे अभूतपूर्व हंगामे के लिए भी याद किया जाएगा। आपको बता दें कि ये सदन का दूसरा सबसे छोटा सत्र भी रहा है। 1952 से अब तक राज्यसभा के लिए के कुल 69 मानसून सत्र में यह दूसरा सबसे छोटा सत्र था। इससे पहले 20 अगस्त 1979 को राज्‍य सभा में एक दिन का सत्र बुलाया गया था जिसमें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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कृषि विधेयकों के जरिए कृषि सुधार से संबंधित तीन विधेयक (कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) विधेयक, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन विधेयक) इस दौरान पारित किए गए। इनका जबरदस्‍त विरोध भी हुआ। मंडी कानून से अलग एक केंद्रीय कानून के साथ कॉन्‍ट्रेक्‍ट फार्मिंग के विधेयक को सदन में पास कर दिया गया। 

श्रम सुधार के तीन कानूनों (व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता विधेयक, औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, श्रम कानून तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक) को भी इस सत्र में पारित कर किया गया। इनमें श्रम क्षेत्र के 29 पुराने कानूनों के अच्छे प्रावधानों को समाहित कर दिया गया है। इन कानूनों में प्रवासी श्रमिकों की बेहतरी के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। नई श्रम संहिताओं में 50 करोड़ से अधिक संगठित, असंगठित तथा स्व-नियोजित कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया है। इसके जरिए महिला कामगारों को पुरुष कामगारों की तुलना में वेतन की समानता सुनिश्चित होगी। इसके अलावा प्लेटफॉर्म कामगारों सहित असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा दायरे के विस्तार में सहायता मिलेगी। 

कर सुधारों से संबंधित विधेयक में कर प्रणाली को सहज व सरल बनाने पर जोर दिया गया है, ताकि संकट के दौर से लोगों को निजात पाने में मदद मिल सके।

एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन एक्ट) विधेयक के तहत विदेशी दान लेकर घरेलू राजनीति में दखल देने वाले एनजीओ और अन्य संगठनों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

सहकारिता बैंकिंग के रेगुलेशन से जुड़े विधेयक के जरिए आम लोगों के बीच बैंकिंग के नाम पर घोटाला करने वालों को काबू किया जा सकेगा।

होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल विधेयक और इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल संशोधन विधेयक को मेडिकल एजूकेशन के क्षेत्र में सुधार के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इनके पारित होने के बाद अब इनके लिए आयोग बनाने का रास्‍ता भी साफ हो गया है। भारतीय चिकित्‍सा पद्धति के लिए राष्‍ट्रीय आयोग और होम्‍योपैथी के लिए राष्‍ट्रीय आयोग का उद्देश्‍य भारतीय चिकित्‍सा पद्धति और होम्‍योपैथी में सुधार लाना होगा।

संक्रामक (एपिडमिक) रोग संशोधन विधेयक के जरिए डॉक्‍टरों और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर होने वाले हमलों को रोका जा सकेगा। इस तरह की किसी भी गतिविधियों में लिप्‍त होने वाले को अब संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया है। हिंसा के ऐसे कामों को अंजाम देने या बढ़ावा देने पर तीन महीने से पांच साल तक की कैद के अलावा सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, संपत्ति के नुकसान या किसी तरह की क्षति की स्थिति में अपराधी पीड़ित को क्षतिपूर्ति के रूप में उचित बाजार मूल्य से दोगुना रकम देने के लिए भी उत्तरदायी होगा।

बैंकिंग रेगुलेशन संशोधन विधेयक के जरिए सहकारी (को-ऑपरेटिव) बैंकों को रिजर्व बैंक के सुपरविजन में लाने का प्रस्ताव किया गया है। इस संशोधन के जरिए जमाकर्ताओं को सुरक्षा देने की कोशिश की गई है। 

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक में गुजरात के गांधीनगर स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को उन्नत करके राष्ट्रीय महत्व की संस्था का दर्जा देने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं विभिन्न पक्षकारों के साथ सहयोग के माध्यम से नई जानकारियां सृजित करेगा तथा पुलिस एवं व्यवस्था, दंड न्याय प्रणाली एवं प्रशासन सुधार के संबंध में विशेष ज्ञान एवं नये कौशल, प्रशिक्षण जरूरतों को पूरा करेगा। इस प्रस्तावित विश्वविद्यालय के संबंध दुनिया के अन्य देशों के विश्वविद्यालयों के साथ होंगे जो समकालीन अनुसंधान के आदान प्रदान, शैक्षणिक सहयोग, पाठ्यक्रम डिजाइन, तकनीकी जानकारी एवं प्रशिक्षण तथा कौशल विकास प्रयोजनों पर आधारित होंगे।

कंपनी संशोधन विधेयक परस्‍पर भारतीय कंपनियों को विदेशी स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध होने में सक्षम बनाएगा।

ट्रिपलआइटी संशोधन विधेयक से शेष 5 आईआईआईटी-पीपीपी के साथ-साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी वाले 15 मौजूदा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्‍थानों को डिग्रियां प्रदान करने की शक्तियों सहित राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान के रूप में घोषित किया जा सकेगा। इससे वे किसी विश्‍वविद्यालय अथवा राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान की तरह प्रौद्योगिकी स्‍नातक (B.Tech) अथवा प्रौद्योगिकी स्‍नातकोत्‍तर (M.Tech) अथवा पीएचडी के नामकरण का इस्‍तेमाल करने के लिए अधिकृत हो जाएंगे। इससे ये संस्‍थान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश में एक सशक्‍त अनुसंधान सुविधा विकसित करने के लिए आवश्‍यक पर्याप्‍त छात्रों को आकर्षित करने में भी सक्षम हो जाएंगे।

मंत्रियों के वेतन और भत्ते से जुड़ा संशोधन विधेयक के जरिए हो सकेगी 30 फीसद की कटौती। 

जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक पारित होने के बाद अब वहां की सरकारी भाषा कश्मीरी, डोगरी और हिंदी हो गई है।

एयरक्राफ्ट संशोधन विधेयक की सबसे खास बात ये है कि अब नागरिक विमानन मंत्रालय के तहत तीन अलग-गल रेगुलेटरी बॉडीज बनाने का रास्‍ता साफ हो गया है। ये तीनों एक डायरेक्‍टर जनरल के मातहत काम करेंगी, जिसको सरकार नियुक्‍त करेगी। इन तीन बॉडीज में डायरेक्‍टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन, ब्‍यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्‍योरिटी और एयरक्राफ्ट एक्‍सीडेंट्स इंवेस्टिगेशन ब्‍यूरो शामिल होंगे। इसके अलावा इसके तहत मौजूदा जुर्माने की अधिकतम सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया गया है। ये विधेयक विमानों के उत्‍पादन, इनके अधिकार, विमानों को बेचना, विमानों का आयात-निर्यात और हवाई अड्डों के बेहतर रख रखाव के लिए कंपनियों को लाइसेंस प्रदान करने का भी रास्‍ता साफ करता है। 


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