माला दीक्षित, नई दिल्ली। मोदी सरकार ने देश के आर्थिक विकास के लिए जो तस्वीर तैयार की है उसमें श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी पर जोर है। आर्थिक विकास में महिलाओं की हिस्सेदारी का लाभ लेने के लिए सरकार ने चार चुनौतियां चिन्हित की हैं जिन्हें दूर कर देश के आर्थिक विकास में आधी आबादी की सशक्त भागीदारी की जा सकेगी।

आगामी बजट में इसके समाधान की कोशिश हो सकती है। सरकार मानती है कि तेजी से आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त और कमाऊ होना जरूरी है।

सरकार ने सारी योजनाओं में महिलाओं का प्रमुखता से ध्यान रखा

इसके लिए सरकार ने काफी काम भी किये हैं जिससे श्रम बाजार में पहले की अपेक्षा महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है लेकिन कोरोना काल में श्रम बाजार में महिलाओं की हिस्सेदारी घटने की चर्चा रही थी ऐसे में सरकार ने कुछ बिंदु चिन्हित किये है जो महिलाओं के कामकाज में बाधा बनते हैं और उन्हें दूर कर महिलाओं की हिस्सेदारी का लाभ लिया जा सकता है। चार चीजें हैं उनका समाधान निकालना होगा ताकि महिलाएं घर से निकल कर रोजगार में हिस्सा लें।

आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन के साधन ,आवास, बच्चों आदि की देखभाल के लिए किफायती बाजार विकल्प तथा दीर्धकालिक परामर्श मदद ऐसी चीजें हैं जिनके माध्यम से महिलाओं की आर्थिक क्षमता को उपयोग करना, देश के भविष्य के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए लैंगिक लाभांश को भुनाने में मदद कर सकता है।

आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि आंकड़ों के मुताबिक रोजगार में वृद्धि हुई है। ग्रामीण महिला श्रम बल भागीदारी दर में वर्ष 2018-19 में 19.7 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2020-21 में 27.7 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि एक सकारात्मक विकास है। विशेष रूप से भारत की महिला श्रम बल भागेदारी को कम करके आंका गया है।

मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह किया गया

आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि कामकाजी महिलाओं की वास्तविकता को अधिक सटीक रूप से आंकने के लिए सर्वेक्षण, डिजाइन, और सामग्री में सुधार की आवश्यकता है। स्वयं सहायता समूह, जिन्होंने कोविड के दौरान अपने लचीलेपन का प्रदर्शन किया है, काम करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए एक प्रभावी माध्यम हो सकते हैं।

देश में 1.2 करोड़ स्वयं सहायता समूह हैं जिनमें 88 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं, जो 14.2 करोड़ परिवारों को सेवा देती हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी कहा गया कि हमें ऐसे देश का निर्माण करना है जिसकी युवा शक्ति और नारी शक्ति समाज और राष्ट्र को दिशा देने के लिए सबसे आगे खड़ी हो।

यानी सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की सरकार की परिकल्पना के केंद्र में सशक्त और आत्मनिर्भर नारी है। मोदी सरकार ने वैसे भी अभी तक अपनी सारी योजनाओं में महिलाओं का प्रमुखता से ध्यान रखा है और उन्हें आगे लाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत से काम किये हैं जिसके अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं।

जैसे व्यापार आदि के लिए आसान किस्तों पर शर्तों के साथ ऋण देने की 2015 में शुरू हुई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में उद्यमियों के दिये जाने वाले ऋण का लाभ लेने वालों में 68 फीसद महिला उद्यमी हैं। कामकाजी महिलाओं को मिलने वाला मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह किया गया।

स्कूल जाने वाली लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य, सुविधा और सहायता की योजनाओं ने नारी को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काफी काम किया है जिसका लेखाजोखा सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में पेश किया है और उसे आगे बढ़ाने की संकल्पना भी पेश की है जो आगामी बजट में योजनाओं और घोषणाओं के रूप में दिख सकती हैं।

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Edited By: Shashank Mishra