देश के जानेमाने कृषि विशेषज्ञों ने नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
नए कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देश के जानेमाने कृषि विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और जानेमाने अर्थशास्त्री वाईके अलघ ने शीर्ष कोर्ट के फैसले को बेहद संवेदनशील बताया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नए कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देश के जानेमाने कृषि विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और जानेमाने अर्थशास्त्री वाईके अलघ ने शीर्ष कोर्ट के फैसले को बेहद संवेदनशील बताया।
जजों ने सरकार से कहा- नए कृषि कानून बहुत जल्दबाजी में पास किए गए
जानेमाने अर्थशास्त्री वाईके अलघ का कहना है कि न्यायाधीशों ने भी केंद्र सरकार से कहा कि आपको अच्छे से तैयारी करनी चाहिए थी, क्योंकि नए कृषि कानून बहुत जल्दबाजी में पास किए गए।
सरकार नए कृषि कानून का खाका कोरोना काल के बाद बना सकती थी: शीर्ष कोर्ट की पीठ
अलघ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली शीर्ष कोर्ट की पीठ में शामिल न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन ने कहा कि केंद्र सरकार नए कृषि कानून का खाका कोरोना काल के बाद बना सकती थी।
अलघ ने कहा- लॉकडाउन के दौरान सिर्फ कृषि क्षेत्र ही था जिसने बेहतर परिणाम दिया
अलघ ने कहा कि क्योंकि जब लॉकडाउन लगा हो तो आप व्यापार और परिवहन के बारे में बात नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सिर्फ कृषि क्षेत्र ही था जिसने बेहतर परिणाम दिए। कृषि क्षेत्र इससे भी अच्छा कर सकता है।
अर्थशास्त्री अभिजीत सेन ने कहा- कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाना शीर्ष कोर्ट का अच्छा फैसला
इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए जानेमाने अर्थशास्त्री और योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन ने भी कहा कि मुझे लगता है यह अच्छा हुआ। शीर्ष कोर्ट ने कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी।
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर महेंद्र देव एस ने कहा- शीर्ष कोर्ट द्वारा दिए गए सुझाव बहुत बढ़िया
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट रिसर्च (आइजीआइडीआर) के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर महेंद्र देव एस ने कहा कि शीर्ष कोर्ट द्वारा दिए गए सुझाव बहुत बढ़िया हैं।
प्रोफेसर महेंद्र देव एस ने कहा- कोर्ट द्वारा गठित पैनल सिर्फ विकल्प ही सुझा सकता है
उन्होंने कहा कि तब जबकि किसान कानून वापस लेने की बात कर रहे हैं और सरकार उनको वापस लेने को तैयार नहीं है तो कोर्ट द्वारा गठित पैनल सिर्फ विकल्प ही सुझा सकता है। कोर्ट ने भी कहा है कि पैनल किसानों की चिंताओं को सुनेगा।