धरती बचानी है तो पहले हाथियों को बचाना होगा, वैज्ञानिकों ने दी यह चेतावनी
हाथियों का इस धरती से बड़ा गहरा नाता है। अब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि हमें यह धरती बचानी है तो सबसे पहले हाथियों को बचाना होगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। हाथियों का इस धरती से सीधा संबंध है। हर साल सैकड़ों की संख्या में हाथी शिकारियों के हाथों मारे जाते हैं। अब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इस धरती को बचाना है तो सबसे पहले हमें हाथियों को बचाना होगा। यदि धरती से हाथी विलुप्त हो गए तो हमारा वातावरण और जहरीला हो जाएगा। नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि यदि अफ्रीका के जंगलों से हाथी विलुप्त हो गए तो हमारे वातावरण में हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा सात फीसद बढ़ जाएगी। इससे ओजोन की परत को भारी नुकसान पहुंचेगा।
बड़े पेड़ों की संख्या बढ़ाने में मददगार
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में कहा कि हाथियों की मौजूदगी से बड़े पेड़ों की संख्या में इजाफा होता है जो ग्रीनहाउस गैसों को बेहतर तरीके से सोखते हैं। हाथियों के नहीं रहने से छोटी झाडि़यों एवं पेड़ों की संख्या बढ़ेगी जो कम कार्बन सोख पाते हैं। इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता फेबियो बर्जागी (Fabio Berzaghi) ने बताया कि हाथियों के विलुप्त होने से तीन अरब टन हानिकारक कार्बन वातावरण में प्रवेश करेगी। हाथियों को बड़े पौधों के बीजों को फैलाने में मददगार माना जाता है, जिससे बड़े वृक्षों की संख्या बढ़ती है।
इस तरह करते हैं मदद
अध्ययन में पाया गया कि कांगो और अन्य भूभाग पर वनों में हाथी छोटी वनस्पतियां खाते हैं। वनों में हाथियों की मौजूदगी छोटे पेड़ों को पनपने नहीं देती है जो वर्षा बनों को फलने फूलने में मददगार साबित होती है। फ्रांस के वैज्ञानिकों अपने अध्ययन में पाया कि एक हाथी 60 टन प्रति हेक्टेयर वन बायोमास को बढ़ाता है। अध्ययन के मुताबिक, पश्चिमी और अफ्रीकी वर्षा वनों में हाथियों के विलुप्त होने से वन बायोमास में सात फीसद की गिरावट होगी, जो हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों को बढ़ाने में मददगार होगी।
तेजी से घट रही संख्या
अफ्रीका के वनों में हाथियों की संख्या बेहद तेजी से गिरी है। इन जंगलों में कभी लाखों की संख्या में हाथी मौजूद थे। लेकिन अब ये जीव 10 फीसद से भी कम बचे हैं। 2002 से 2011 के दशक में 62 फीसद जंगली हाथी शिकारियों के द्वारा मार दिए गए। हाथियों की संख्या में यह गिरावट बाजार में उनके दांतों की मांग के कारण आई है। यही नहीं इंसानी बस्तियों का जंगलों में अतिक्रमण के कारण भी हाथियों की संख्या में गिरावट आई है। शिकारियों द्वारा उनकी सामूहिक हत्याएं और प्रतिकूल पारिस्थितिकी भी उनकी संख्या में कमी की एक बड़ी वजह है।
ग्रीन हाउस गैसें बढ़ा रहीं पृथ्वी का तापमान
वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण न केवल विश्व का औसत तापमान बढ़ा है, बल्कि गर्मी के मौसम में चलने वाली लू की तपन में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है जो लोगों और वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा रही है। अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोनाथन स्टिलमैन की मानें तो पृथ्वी पर गर्मियों का मौसम जीवन के लिए घातक बन रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, गर्मी के मौसम में चलने वाली लू से पहले से ही जानवरों की सामूहिक मृत्यु होती रही है। ग्रेट बैरियर रीफ में प्रवालों से लेकर आस्ट्रेलिया में घोड़ों के मरने की खबरें आती रही हैं।