हर गांव में पहुंची बिजली, 1000 दिन से पहले ही मोदी सरकार ने हासिल किया लक्ष्य
आजादी के सत्तर साल बाद ही सही लेकिन अब अंधेरे में डूबे 18 हजार से अधिक गांवों में बिजली पहुंच गयी है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। आजादी के सत्तर साल बाद ही सही लेकिन अब अंधेरे में डूबे 18 हजार से अधिक गांवों में बिजली पहुंच गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिन के भीतर इन गांवों में बिजली पहुंचाने का ऐलान किया था। समयसीमा पूरी होने से 12 दिन पहले शनिवार को ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया गया। इन गांवों में बिजली पहुंचने के बाद देश के सभी गांव अब विद्युतीकृत हो गए हैं। अब मार्च, 2019 तक हर घर को बिजली देने का काम ज्यादा तेजी से आगे बढ सकेगा।
-प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से की थी घोषणा
केंद्रीय बिजली मंत्रालय के सचिव अजय कुमार भल्ला ने 'दैनिक जागरण' से कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी और उड़ीसा के मल्कानगिरी जिले के गैर-विद्युतीकृत गांवों में बिजली पहुंचने के साथ ही 18 हजार से अधिक गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह काम पूरा करने के लिए 1000 दिन का समय दिया था जो 10 मई को पूरा होता।
इसी के अनुसार बिजली मंत्रालय ने यह काम एक मई 2018 तक पूरा करने की योजना बनायी थी लेकिन इसे 28 अप्रैल को (988वें दिन) ही पूरा कर लिया गया। जिन गांवों में सबसे बाद में बिजली पहुंची है वे घने जंगल या दुर्गम पहाड़ी इलाकों में हैं। जब काम शुरु हुआ तो करीब 1100 और ऐसे गांव मिले जहां बिजली नहीं थी। उन्हें भी सूची में शामिल कर लिया गया। लेकिन ऐसे गांव भी लगभग इतनी ही संख्या में थे जहां सूची में शामिल तो थे लेकिन वहां कोई रहता ही नहीं था। ऐसे गावों को छोड़ दिया गया।
जिन गांवों में बिजली पहुंचायी गयी है उसमें सबसे ज्यादा उड़ीसा, झारखंड, बिहार, असम और उत्तर प्रदेश जैसे गरीब राज्यों के गांव हैं। साथ ही सात हजार से अधिक गांव नक्सल और वामपंथी अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में हैं। इसलिए यहां बिजली पहुंचाना बहुत मुश्किल था।
भल्ला ने कहा कि हर गांव में बिजली पहुंचाने के बाद सरकार का अगला लक्ष्य 'सौभाग्य' योजना के जरिए हर घर तक बिजली पहुंचाने का है। इसके तहत गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय कि 'सौभाग्य' योजना के तहत मार्च 2019 तक 3.63 घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। अब तक इसमें से अब तक करीब 50 लाख घरों तक बिजली पहुंचायी जा चुकी है।
क्या है विद्युतीकृत गांव की परिभाषा?
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने फरवरी 2004 में विद्युतीकृत गांव की नई परिभाषा दी जिसके तहत उस गांव या दलित बस्ती को विद्युतीकृत मान लिया जाएगा जहां ट्रांसफार्मर या बिजली की लाइन पहुंच गयी है और जहां कम से कम 10 प्रतिशत घरों में बिजली आ गयी है। साथ ही स्कूल, पंचायत कार्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, डिस्पेंसरी और सामुदायिक केंद्र पर बिजली पहुंचने पर भी गांव को विद्युतीकृत माना जाएगा। देश में 5,97,464 जनगणना गांव हैं और अब इन सभी को विद्युतीकृत किया जा चुका है।