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चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी राजनीतिक पार्टियों से मिली चुनावी बांड की सीलबंद रिपोर्ट

चुनाव आयोग ने बताया कि पिछले साल 12 अप्रैल को दिए उनके दिशा-निर्देशों के अनुसारराजनीतिक दलों ने उन्हें मिले चुनावी बांडों का ब्योरा सीलबंद लिफाफों में सौंपा है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 09:29 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 09:53 AM (IST)
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी राजनीतिक पार्टियों से मिली चुनावी बांड की सीलबंद रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी राजनीतिक पार्टियों से मिली चुनावी बांड की सीलबंद रिपोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को भाजपा और कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनावी बांड मिलने की जानकारी दी है। चुनावी बांड दाखिल करने की विस्तृत रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में मिली है। चुनाव आयोग ने बुधवार को हलफनामा दायर करके सर्वोच्च अदालत को बताया कि पिछले साल 12 अप्रैल को दिए उनके दिशा-निर्देशों के अनुसार ही राजनीतिक दलों ने उन्हें मिले चुनावी बांडों का ब्योरा सीलबंद लिफाफों में सौंपा है।

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आयोग ने हलफनामे में कहा कि राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय राष्ट्रीय दलों और राज्यों के दलों से लेकर गैर पंजीकृत राजनीतिक दलों समेत कुल 105 दलों ने भी उन्हें मिले चुनावी चंदे वाले चुनावी बांडों का ब्योरा दिया है। चुनाव आयोग ने चुनावी चंदे के इन बांडों का ब्योरा सुप्रीम कोर्ट को एक एनजीओ की याचिका के जवाब में दिया है। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार की चुनावी बांड परियोजना, 2018 को बंद करने की अपील की थी।

केंद्र सरकार ने अपनी इस योजना में चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए कुछ नियम बनाए थे। इसके तहत एक भारतीय नागरिक ही चुनावी बांड खरीद सकता है। एक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से तो यह बांड खरीद ही सकता है, वह संयुक्त रूप से भी इन बांड को खरीद सकता है। इन बांडों का नकदीकरण एक अधिकृत बैंक से ही होगा। 

शीर्ष अदालत ने पिछले साल अप्रैल में केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, 2018 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और यह स्पष्ट कर दिया था कि यह याचिका पर गहन सुनवाई करेगी क्योंकि केंद्र और चुनाव आयोग ने  देश में चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता पर असर डालने वाले ठोस मुद्दों को उठाया है।

अदालत, जिसे गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' की याचिका पर फैसला करना था कि चुनावी बॉन्ड जारी करने या दानदाताओं के नाम सार्वजनिक किए जाएं, उन्होंने कहा था कि तर्कों और जवाब के मद्देनजर याचिका पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है।


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