अल नीनो से अलसाया मानसून, घर-घर बीमारियों की दस्तक
मौसम बीमारियों को भी जन्म दे रहा है। शायद ही कोई घर ऐसा हो जिस घर में कोई न कोई बीमार न हो। बीमारियों से बचना किसी चुनौती से कम नहीं है। डायरिया, वायरल फीवर, कंजेक्टिवाइटिस जैसी बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। वायरल बुखार ने तो घर घर दस्तक दे रखी है। एसआरएन सहित शहर के लगभग सभी अस्पतालो
इलाहाबाद। मौसम बीमारियों को भी जन्म दे रहा है। शायद ही कोई घर ऐसा हो जिस घर में कोई न कोई बीमार न हो। बीमारियों से बचना किसी चुनौती से कम नहीं है। डायरिया, वायरल फीवर, कंजेक्टिवाइटिस जैसी बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। वायरल बुखार ने तो घर घर दस्तक दे रखी है। एसआरएन सहित शहर के लगभग सभी अस्पतालों में ओपीडी बढ़ गई है।
अगस्त में भी पछुवा पवनों का जोर है। यही कारण है कि मानसून कमजोर है। बारिश पर 'अलनीनो' ने ग्रहण लगा रखा है। इसकी वजह से मौसम बेरहम बना हुआ है। उमस ने लोगों को बेचैन कर रखा है। जहां दिन में धूप कांटे की तरह चुभ रही है वहीं रातों की नींद भी छिन चुकी है। मौसम की इस करवट को लेकर विज्ञानी भी हैरत में हैं। इसको लेकर मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में मंथन भी किया गया।
मौसम विज्ञानी डा. एसएस ओझा ने बताया कि मंथन में जो निष्कर्ष निकला, उसके मुताबिक जनपद में मानसून की राह में 'अलनीनो' रोड़ा बना हुआ है। उन्होंने बताया कि हिंद महासागर दो भागों में बंटा है। पहला अरब सागर और दूसरा बंगाल की खाड़ी। इलाहाबाद में पूरबी हवाएं बारिश लाती हैं जो बंगाल की खाड़ी से आती हैं। अमूमन अलनीनो का प्रभाव पूरे हिंद महासागर में दिखता है, लेकिन इस बार वह बंगाल की खाड़ी में अधिकतर समय तक सक्रिय रहा।
यही कारण है कि बंगाल की खाड़ी से प्रभावित क्षेत्र उत्तर प्रदेश और बिहार आदि में बारिश कम हुई। जबकि अरब सागर से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों गुजरात, राजस्थान व दिल्ली आदि में झमाझम बारिश हुई। बंगाल की खाड़ी से उठने वाली हवाओं को पश्चिमी हवाओं ने लगातार कमजोर किया। असम के रास्ते आने वाली पूरबी हवाएं यहां आते आते एकदम मंद पड़ जा रही थीं । जिसके चलते आसमान में बादल तो मंडराते थे, लेकिन बिना बरसे ही वापस लौट जाते थे।
यह अलनीनो का ही प्रभाव रहा कि इस बार जनपद में औसत से काफी कम बारिश हुई। यही कारण है कि अगस्त में भी सूरज ने इतना तीखा स्वरूप अख्तियार कर रखा है। सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों लोगों के शरीर को पिघला रही हैं। चिपचिपे मौसम में घर से बाहर निकलना या कहीं काम से जाना मुश्किल हो रहा है। मिनटों में ही पसीने से शरीर तर-बतर हो जा रहा है।
मौसम विज्ञानियों की मानें तो आने वाले कुछ दिनों तक बारिश की उम्मीद नहीं है। इसके चलते लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। खेती को खासा नुकसान पहुंच सकता है। खासकर दलहनी और तिलहनी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो सकती हैं।