खोखा कंपनियों के जरिये 80 हजार करोड़ रुपये के मुनाफे का पता लगा
उद्योग चैंबर फिक्की के बजट-बाद सेमिनार को संबोधित करते हुए सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि खोखा कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए किया जा रहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने खोखा कंपनियों के जरिये 80,000 करोड़ रुपये के फर्जी पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेंस) का पता लगाया है। इसके तहत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ से जुड़े नियमों की धज्जियां उड़ाई गई।
उद्योग चैंबर फिक्की के बजट-बाद सेमिनार को संबोधित करते हुए सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि खोखा कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए किया जा रहा है। इस मामले में काफी जांच-पड़ताल और शोध किया गया। पिछले साल फर्जी तरीके से 80 हजार करोड़ रुपये का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ हासिल किए जाने का पता लगाया गया है। यह छोटी रकम नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?
बजट में इस संबंध में जो भी बदलाव हुए हैं, वे कर चोरी और नियमों का दुरुपयोग रोकने के लिए किए गए हैं। ईमानदार निवेशकों, आइपीओ निवेश और कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) का लाभ उठाने वालों को इनसे कोई परेशानी नहीं होगी।
रिटर्न दाखिल करने में फर्मे फिसड्डी
चंद्रा ने बताया कि देश में 15 लाख कंपनियां हैं। इनमें से केवल 6.8 लाख कंपनियां ही आयकर रिटर्न दाखिल करती हैं। इनमें से कई कंपनियां ऐसी हैं, जिनका इस्तेमाल खोखा कंपनियों के तौर पर किया जा रहा है। इनके जरिये काले धन को सफेद में बदला जाता है।
कैसे होता है फर्जीवाड़ा
कैपिटल गेंस हासिल करने के लिए पहले बेकार का निवेश करके खोखा कंपनी बनाई जाती है। उसमें भारी-भरकम मुनाफा दिखाया जाता है। उसके बाद कंपनी को शेयर बाजार पर सूचीबद्ध कराया जाता है। फिर ऊंचे शेयर मूल्यों का फायदा उठाते हुए इससे निकल लिया जाता है।