अस्सी फीसद लोग पहनें मास्क तो महामारी पर लग सकती है लगाम, जारी की गई नियमावली
Coronavirus लोगों से घर पर ही मास्क बनाने पर जोर दिया गया है। इसकी खूबी यह है कि इन्हें धोकर दोबारा उपयोग कर सकते है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मास्क की गुणवत्ता और उसके उपयोग को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति हो गई है। एक तरफ जहां स्वास्थ्य मंत्रालय और खुद आइसीएमआर का कहना है कि मास्क हर किसी को लगाने की जरूरत नहीं है। वहीं केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन के कार्यालय का मानना है कि देश की 80 फीसद आबादी मास्क पहनने लगे तो कोरोना महामारी को थामा जा सकता है। मास्क बनाने की एक नियमावली भी जारी की है जिसमे जिसमें घर के ही पुराने सूती कपड़े से मास्क बनाने की विधि भी बताई है। हालांकि वाइरस से रोकथाम में मास्क की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
नियमावली जारी कर घर पर ही मास्क बनाने पर जोर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को भी एक एडवाइजरी जारी की जिसमे कहा गया है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को तभी मास्क पहनने की जरूरत है जब वह बीमार की सेवा में हो या उसके संपर्क में हो। अन्यथा मास्क लगाने की जरूरत नहीं है। लेकिन राघवन के कार्यालय की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ शैलजा वैध गुप्ता ने बताया कि मास्क को अहम करार दिया। एक नियमावली जारी कर लोगों से घर पर ही मास्क बनाने पर जोर दिया गया है। इसकी खूबी यह है कि इन्हें धोकर दोबारा उपयोग कर सकते है।
मास्क को इस तरह रखे साफ
घर में तैयार किए गए मास्क की सफाई रखने को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए गए है। जिसमें मास्क को साफ और कीटाणु रहित रखने के लिए उसे हर दिन साबुन और गर्म पानी से धोकर तेज धूप में सुखाने की सलाह दी गई है। साथ ही कहा गया है कि यदि घर में धूप नहीं आती है, तो मास्क को प्रेशर कुकर में पानी डालकर दस मिनट तक उबालें। यदि यह भी संभव नहीं है, तो मास्क को साबुन से धोए और उस पर पांच मिनट तक गर्म प्रेस (इस्त्री) चलाए।