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केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने की विद्यालय से वंचित 17 करोड़ बच्चों के लिए वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरुआत

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में जुटी केंद्र सरकार ने मंगलवार को विद्यालय से वंचित करीब 17 करोड़ बच्चों के लिए वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरुआत की है। दिव्यांग बच्चों की बेहतर और रूचिकर शिक्षा के लिए भी बड़ा कदम उठाया है।

By Avinash RaiEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 09:50 PM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 09:50 PM (IST)
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने की विद्यालय से वंचित 17 करोड़ बच्चों के लिए वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरुआत
शिक्षा मंत्री प्रधान ने की विद्यालय से वंचित 17 करोड़ दिव्यांग बच्चों के लिए वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरुआत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में जुटी केंद्र सरकार ने मंगलवार को विद्यालय से वंचित करीब 17 करोड़ बच्चों के लिए वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरुआत की है। शिक्षा मंत्रालय ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के साथ मिलकर दिव्यांग बच्चों की बेहतर और रूचिकर शिक्षा के लिए भी बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत बच्चों को अब उन्हीं की भाषा में सरल व इंटरैक्टिव तरीके से पढ़ाया जा सकेगा।

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मौके पर कहा कि शिक्षा सिर्फ अंक गणित या डिग्री प्राप्त करने की व्यवस्था नहीं है। देश में आज भी करीब 17 करोड़ ऐसे बच्चे हैं, जो सामाजिक, आर्थिक व दूसरे कारणों से पारंपरिक शिक्षा हासिल नहीं कर पा रहे हैं। स्कूली शिक्षा विभाग अब ऐसे वंचित बच्चों के लिए एक नया मंच लेकर आया है। इन बच्चों को अब नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओपन स्कू¨लग (एनआइओएस) के वर्चुअल स्कूल की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जब ये बच्चे एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं और प्री-पेड वाउचर भरने के साथ-साथ डिजिटल भुगतान कर सकते हैं, तो वे ओपन वर्चुअल माध्यम से शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं।प्रधान ने दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए तैयार की गई ई-कामिक पुस्तिका प्रिया सुगम्यता को भी जारी किया। उन्होंने कहा कि इससे दिव्यांग बच्चों को बड़ी मदद मिलेगी।

धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि देश की कुल आबादी में करीब छह फीसद ऐसे बच्चे हैं, जो नैसर्गिक चुनौतियों से जूझ रहे है। अब सरकार और समाज ने साथ मिलकर इन चुनौतियों को स्वीकार किया है। सुनने व देखने जैसी समस्याओं से ग्रसित बच्चों के लिए एनसीईआरटी द्वारा तैयार की गई यह प्रिया सुगम्यता ई-कामिक पुस्तिका काफी मददगार होगी। इस दौरान सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार, सभी राज्यों के शिक्षा सचिव, शिक्षा और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

दो वर्षों में हर स्कूल तक इंटरनेट पहुंचाने का प्रयास शिक्षा मंत्रालय ने निपुण भारत नामक एक और अहम पहल की भी शुरुआत की है। इसमें फिलहाल तीन से नौ साल तक के बच्चों को संख्या और बुनियादी ज्ञान दिया जाएगा। इससे जुड़ी सामग्री दीक्षा पोर्टल पर भी उपलब्ध होगी। शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि नीतियां तो हर सरकार बनाती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है उन्हें जमीन पर उतारना।

धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति लाने के एक साल में सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों का ब्योरा भी सबके सामने रखा। प्रधान ने कहा कि अब पढ़ाई आनलाइन और आफलाइन दोनों मोड में होगी। हमारी कोशिश है कि अगले दो साल में देश का प्रत्येक स्कूल इंटरनेट से जुड़ जाए। इसके लिए हम सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से बातचीत कर रहे हैं।


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