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शिक्षा 'मेक इन इंडिया' की सफलता की कुंजी

शिक्षा और हेल्थकेयर पर जोर सरकार के 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम की सफलता की कुंजी हैं। इन दोनों आयामों की मजबूती से भारत की श्रम शक्ति वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगी। विश्व बैंक ने यह राय जताई है।

By Murari sharanEdited By: Published: Tue, 20 Jan 2015 06:37 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jan 2015 07:20 PM (IST)
शिक्षा 'मेक इन इंडिया' की  सफलता की कुंजी

नई दिल्ली। शिक्षा और हेल्थकेयर पर जोर सरकार के 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम की सफलता की कुंजी हैं। इन दोनों आयामों की मजबूती से भारत की श्रम शक्ति वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगी। विश्व बैंक ने यह राय जताई है।

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भारत में विश्व बैंक के निदेशक ओनो रुल ने कहा, 'मुझे लगता है कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अहम साबित होगा। यह इसलिए अहम है क्योंकि इससे भारत बाकी दुनिया से प्रतिस्पर्धा में सक्षम हो सकेगा। 'मेक इन इंडिया' तभी सफल होगा जब आपका श्रम बल बाकी दुनिया के मुकाबले प्रतिस्पर्धी होगा।' विश्व बैंक की रिपोर्ट 'एड्रेसिंग इनइक्वलिटी इन साउथ एशिया' जारी करते हुए रुल ने यह बात कही।

विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और देश को वैश्विक मैन्युफैक्च¨रग हब बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया था। फिलहाल देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्युफैक्च¨रग क्षेत्र का हिस्सा 16-17 फीसद है। सरकार ने वर्ष 2022 तक यह हिस्सेदारी 25 फीसद तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

रुल ने कहा कि देश में एक अच्छा स्वास्थ्य तंत्र विकसित करने के लिए सरकार के पास नेशनल हेल्थ मिशन के रूप में एक बेहतरीन अवसर मौजूद है। यह बेहद अच्छा संकेत है कि नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर चर्चा हो रही है। हेल्थकेयर हर देश के लिए एक चुनौती है।


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