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अलगाववादी शब्बीर शाह की जमानत याचिका का ED ने किया विरोध, कहा- कश्मीर में अशांति के लिए धन जुटाने में था शामिल

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि आरोपी कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्‍तान के साथ-साथ कई अन्‍य देशों से धन जुटाने की अपराध में शामिल रहा है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 01:07 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 01:07 PM (IST)
कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह । (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि आरोपी कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्‍तान के साथ-साथ कई अन्‍य देशों से धन जुटाने की अपराध में शामिल रहा है। दिल्ली की एक अदालत में शाह की जमानत याचिका पर अपने जवाब में इडी ने कहा कि वह भी आतंकी वित्तपोषण गतिविधियों में शामिल था। आतंकवादियों को आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के लिए धन की आवश्यकता होती है। 

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केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि मनी-लॉन्ड्रिंग वह तरीका है, जिसके द्वारा अपराधी अपने धन की अवैध उत्पत्ति को छिपाते हैं और अपने संपत्ति और ठिकानों की रक्षा करते हैं, ताकि जांच एजेंसियों के संदेह से बचा जा सके। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा द्वारा मामले की सुनवाई मंगलवार को 29 जून के लिए स्थगित कर दी गई, क्योंकि शाह का वकील व्यक्तिगत कारणों के चलते सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं था।

इडी के जवाब के अनुसार, आरोपी शब्बीर अहमद शाह पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के हाफिज सईद प्रमुख के नियमित संपर्क में था। जमात-उद-दावा को यूएनसी द्वारा प्रतिबंधित संगठन है जो सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता है। उसने यह भी बताया कि शब्बीर अहमद शाह मोहम्मद शफी शायर के संपर्क में था,  जो कश्मीर का है और सेंट्रल जेल जम्मू से छूटने के बाद अपने परिवार के साथ पाकिस्तान भाग गया था। 

इडी ने यह भी कहा कि जमानत याचिका पर दायर करने वाले के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। मामले में आगे की जांच चल रही है और संपत्तियों की पहचान की जा रही है। पैसे कहां से आए इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है। इस संबंध में आगे की जांच की जा रही है। पाकिस्तान से संबंधित कॉल रिकॉर्ड और मेल की जांच की जा रही है। धन मुहैया करने  देने वाले लोगों की पहचान और जांच की जानी है। यदि आरोपी को इस समय जमानत पर रिहा कर दिया जाता है तो बड़ी साजिश का पता लगाने का पूरा प्रयास व्यर्थ होगा।


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