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खनन घोटाले में आरोपियों पर कसा मनी लांड्रिंग का शिकंजा

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खनन घोटाले में आरोपियों द्वारा सैकड़ों करोड़ों रुपये की अवैध कमाई करने की आशंका है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 10:18 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 10:18 PM (IST)
खनन घोटाले में आरोपियों पर कसा मनी लांड्रिंग का शिकंजा
खनन घोटाले में आरोपियों पर कसा मनी लांड्रिंग का शिकंजा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खनन घोटाले में आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का शिकंजा कस गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत आरोपियों के खिलाफ नया केस दर्ज कर लिया है। मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत ईडी को घोटाले से की गई काली कमाई का पता लगाकर जब्त करने का अधिकार है। गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने पिछले गुरूवार को ही खनन घोटाले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने की खबर दी थी।

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ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खनन घोटाले में आरोपियों द्वारा सैकड़ों करोड़ों रुपये की अवैध कमाई करने की आशंका है, जो अधिकारियों और नेताओं के बीच भी बंटी होगी। अवैध कमाई से बने काले धन का पता लगाना और उन्हें जब्त करना जरूरी है। ईडी को इसमें महारत हासिल है और पिछले पांच सालों में भ्रष्टाचार के मार्फत बनाई गई 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति को जब्त कर चुका है। जबकि सीबीआइ का काम सिर्फ घोटाले के आपराधिक पक्ष की जांच कर आरोपियों को सजा दिलाना है।

मनी लांड्रिंग के मामले में उन्हीं को आरोपी बनाया गया है, जो पहले से सीबीआइ की एफआइआर में आरोपी थे। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मामले में कोई नया आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन जांच के दौरान यदि किसी के खिलाफ अहम सबूत मिलते हैं, तो उससे पूछताछ जरूरी की जाएगी और उसके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किये जा सकते हैं। उन्होंने साफ किया कि ईडी की जांच सीबीआइ से बिल्कुल इतर होगी और काली कमाई को ठिकाना लगाने में मदद करने वालों पर ईडी अलग से शिकंजा कस सकता है।

गौरतलब है कि सीबीआइ ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी बी चंद्रकला समेत कई आरोपियों के खिलाफ 2013-2014 में हमीरपुर में अवैध तरीके से 22 खनन पट्टे देने के आरोप में एफआइआर दर्ज की थी। इनमें खनन के 14 पट्टों की मंजूरी खनन मंत्री के रूप में खुल अखिलेश यादव ने दी थी, बाकि आठ पट्टों की मंजूरी बाद में खनन मंत्री बने गायत्री प्रजापति ने दी थी। एफआइआर में फिलहाल अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति का नाम नहीं है। लेकिन अन्य आरोपियों के साथ-साथ इन्हें भी जल्दी पूछताछ के लिए समन किया जा सकता है। 


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