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व्यापमं मामले में ईडी ने दायर किया पहला आरोपपत्र

व्‍यापमं घोटाले के मामले में विशेष धन-शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत ईडी ने आरोपपत्र दायर किया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 10:18 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 01:03 PM (IST)
व्यापमं मामले में ईडी ने दायर किया पहला आरोपपत्र

इंदौर (प्रेट्र)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले के मामले में कथित सरगना डॉक्टर जगदीश सागर और इस परीक्षा बोर्ड के दो अधिकारियों और अन्य के खिलाफ धनशोधन रोकथाम कानून के तहत आरोपपत्र दायर किया। यह शिकायत यहां विशेष धन-शोधन रोकथाम अधिनियम अदालत में दायर किया गया।

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मामले में ईडी का पहला आरोपपत्र
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस मामले में ईडी का यह पहला आरोपपत्र है और भविष्य में पूरक आरोपपत्र दायर हो सकता है, क्योंकि जांच अभी जारी है। एजेंसी ने कहा कि सागर के अलावा, श्री अरविंद आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर विनोद भंडारी और व्यापमं अधिकारी डाक्टर पंकज त्रिवेदी तथा नितिन मोहिंद्रा को अभियोजन पक्ष की 2,505 पृष्ठों की शिकायत में आरोपी बनाया गया है। एजेंसी ने बताया कि उसकी जांच में खुलासा हुआ है कि सागर, भंडारी, त्रिवेदी, मोहिंद्रा आदि एक-दूसरे के साथ मिलकर व्यापमं पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट) और प्री-प्रीजी परीक्षाओं में उम्मीदवारों का दाखिला धन लेकर कराते थे।

नए आरोपी आएंगे सामने
ईडी ने अभी तीन परीक्षाओं के ही घोटाले की जांच को लेकर आरोपपत्र पेश किया है। लेकिन अभी 10 से ज्यादा व्यापमं परीक्षाओं की जांच जारी है। इसमें कई रैकेटियर, कुछ और निजी मेडिकल कॉलेज, कुछ नौकरशाहों पर जांच जारी है, जिसमें आगे पूरक चालान पेश किए जाएंगे और नए आरोपी भी सामने आएंगे।

गैरकानूनी तरीके से लिया था धन
एजेंसी ने कहा है कि छात्रों से हासिल किया गया धन कुछ और नहीं बल्कि (धन शोधन) अपराध से अर्जित आय का मामला है। इस धन को इन चारों ने और अन्य ने आपस में बांटा। एजेंसी ने आरोप लगाया, ‘जांच से सीधे तौर पर खुलासा हुआ है कि सागर और भंडारी ने पीएमटी-2012, प्री-पीजी परीक्षा-2012, पीएमटी-2013 में कदाचार का सहारा लेकर गैरकानूनी तरीके से धन हासिल किया और गैरकानूनी तरीके से कमाए गए इस धन को बैंको में जमा किया और कई संपत्तियां खरीदी।‘

सीबीआई कर रही मामले की जांच

केंद्रीय जांच एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय ने यहां मार्च 2014 में मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले के संबंध में कथित वित्तीय अनियमितताओं तथा धन शोधन की घटनाओं की जांच के लिये प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मामला अधिकारियों और नेताओं की कथित सांठ-गांठ से पेशेवर पाठ्यक्रमों और राज्य सेवाओं में अभ्यर्थियों और छात्रों के प्रवेश से जुड़ा है।

एजेंसी ने राज्य के विशेष कार्य बल की कई प्राथमिकी पर संज्ञान लेने के बाद अपनी प्राथमिकी में राज्य के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और 27 अन्य को नामजद किया था। उसने इस मामले में अब तक 13.95 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। सीबीआई भी इस मामले में जांच कर रही है।


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