भारत यात्रा पर आएंगे मध्य एशिया के पांच विदेश मंत्री, 18-20 दिसंबर को भारत-मध्य एशिया डायलाग में लेंगे हिस्सा
भारत-मध्य एशिया डायलाग की तीसरी बैठक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 18 से 20 दिसंबर तक होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को संवाददाताओं से इस बैठक के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। जानें इस बैठक का एजेंडा...
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के रिश्तों की अहमियत और बढ़ गई है। ऐसे में 18-20 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में होने वाले तीसरे भारत-मध्य एशिया डायलाग को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने जबरदस्त तैयारी की है। बैठक में हिस्सा लेने किर्गिजस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री भारत दौरे पर आ रहे हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की इन सभी विदेश मंत्रियों के साथ संयुक्त तौर पर वार्ता होगी। सारे विदेश मंत्रियों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की संभावना है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिरोजद्दीन मुहरीद्दीन भारत की द्विपक्षीय यात्रा भी करेंगे। उनकी विदेश मंत्री जयशंकर के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर भी बैठक होगी। मध्य एशियाई देशों के साथ आर्थिक और ढांचागत क्षेत्र में कनेक्टिविटी पर होने वाली बातचीत काफी अहम होगी। कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर जिस तरह की चुनौतियां विश्व बिरादरी के समक्ष आई हैं, उसको देखते हुए भी यह बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी।
भारत इन देशों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में नए सहयोग की उम्मीद लगाए हुए है। इन देशों का स्वास्थ्य ढांचा बहुत खास नहीं है, दूसरी तरफ भारत की दवा एवं चिकित्सा सामग्रियों की वहां मांग बढ़ती जा रही है। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी संभावनाएं बनने जा रही हैं जिसके बारे में भी दोनों पक्ष वार्ता करेंगे। बातचीत का एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा चाबहार पोर्ट के जरिये कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने को लेकर होगा। भारत की मंशा ईरान स्थित चाबहार पोर्ट को सड़क और रेल मार्ग से इन देशों से जोड़ने की है।
भारत ईरान और इन देशों को लेकर नार्थ-साउथ कारीडोर को लेकर भी बातचीत कर रहा है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से इन दोनों परियोजनाओं की प्रगति सुस्त है। इस बैठक में किस तरह से कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लेकर आगे बढ़ा जाए, इस पर एक सामूहिक एजेंडा तय करने की भी बात होनी है। कोरोना काल के बाद इन देशों के साथ चीन के लगातार मजबूत हो रहे रिश्तों पर भी कुछ सवाल उभरे हैं। ऐसे में भारत की तरफ से पहल करके मध्य एशियाई देशों के साथ संवाद को गति देने की कोशिश की गई है।