Move to Jagran APP

चीन से आने वाले सामान को रोकने और मेक इन इंडिया के प्रोत्साहन के लिए बताना होगा प्रोडक्ट का सोर्स

ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर बिकने वाले सामान पर अगस्त से यह बताना पड़ेगा कि यह सामान भारत में बना है या किसी और देश से आया है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 06:57 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 07:09 PM (IST)
चीन से आने वाले सामान को रोकने और मेक इन इंडिया के प्रोत्साहन के लिए बताना होगा प्रोडक्ट का सोर्स
चीन से आने वाले सामान को रोकने और मेक इन इंडिया के प्रोत्साहन के लिए बताना होगा प्रोडक्ट का सोर्स

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर बिकने वाले सामान पर अगस्त से यह बताना पड़ेगा कि यह सामान भारत में बना है या किसी और देश से आया है। अभी कई सामान के पैकेट पर यह नहीं लिखा होता है कि यह सामान कहां बना है।

loksabha election banner

डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को जुलाई आखिर तक प्रोडक्ट के सोर्स को प्रोडक्ट पर दर्शाना शुरू करने के लिए कहा गया है। हालांकि इस संबंध में डीपीआईआईटी की तरफ से कोई आधिकारिक निर्देश जारी नहीं किया गया है, लेकिन चीन से आने वाले सामान को रोकने और मेक इन इंडिया के प्रोत्साहन के लिए विभाग जल्द से जल्द इस काम को शुरू कराना चाहता है।बुधवार को इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक हुई। लगभग 15 दिन पहले भी इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैठक की गई थी।

सूत्रों के मुताबिक अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार के सामने यह दलील रखी कि उनके प्लेटफार्म पर 15 करोड़ से अधिक विक्त्रेता है और इतने कम समय में सभी विक्त्रेताओं द्वारा अपने प्रोडक्ट पर सोर्स को दर्शाना आसान नहीं होगा। ई-कॉमर्स कंपनियों ने कहा कि वे उन विक्त्रेताओं को टेक्नीकल सपोर्ट मुहैया करा सकती है, बाकी का काम विक्त्रेता का होगा। ऐसे में, पूरी जानकारी जुटाकर प्रोडक्ट पर सोर्स को लिखना या दर्शाने के काम को सुचारू होने में कम से कम दो-तीन महीने लग सकते हैं।

सोर्स के ओरिजन पता करने पर असमंजस बरकरार 

प्रोडक्ट के सोर्स का मूल पता करने पर भी असमंजस बरकरार है। कई ऐसे प्रोडक्ट है जिनके कच्चे माल कई देशों से आते हैं और फिर उसे भारत में असेंबल किया जाता है। हालांकि बैठक में यह बात साफ हो गई कि भारत में असेंबल होने वाले प्रोडक्ट को मेक इन इंडिया की श्रेणी में रखा जाएगा। आयातित सामान पर पहले से ही सोर्स होता है।

सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान स्वदेशी या मेक इन इंडिया के लिए किसी प्रकार के रंग के इस्तेमाल की चर्चा नहीं की गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को यह भी हिदायत दी गई कि प्रोडक्ट पर सोर्स बताने से इनकार करने वाले विक्त्रेताओं को सामान बेचने की इजाजत नहीं दी जाए।

ऑफलाइन सामान की बिक्त्री पर कोई नियम नहीं 

ई-कॉमर्स कंपनियों के मुताबिक सरकार ऑनलाइन विक्त्रेताओं के लिए सोर्स बताना जरूरी कर रही है जबकि ऑफलाइन यानी कि छोटी-छोटी दुकानों में सैकड़ों-हजारों ऐसे आइटम बिक रहे हैं जिसके बारे में बेचने और खरदीने वालों को प्रोडक्ट के सोर्स की कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पानी की बोतल से लेकर घरों में इस्तेमाल होने वाले कप व अन्य छोटे-छोटे सामान के उत्पादन के बारे में दुकानदारों को कुछ पता नहीं होता है। वे तो थोक बाजार से सामान लाकर उसे खुदरा बाजार में बेच देते हैं जिस पर न कोई लेवल लगा होता है और न ही कंपनी का नाम लिखा होता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.