Chhattisgarh: कुपोषण, नक्सलवाद, पलायन के चलते आदिवासी बाहुल्य बस्तर में घट रही जन्मदर
नक्सलवाद के कारण बस्तर में पिछले एक दशक से अधिक समय से लगातार पलायन हो रहा है। रोजगार की तलाश में बस्तर से युवाओं का पलायन बढ़ा है।
विनोद सिंह, जगदलपुर। नक्सलवाद से जूझ रहे आदिवासी बाहुल्य बस्तर में जन्मदर लगातार कम हो रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार वर्तमान में बस्तर जिले में प्रति हजार आबादी में जन्मदर 19.2 फीसद है। जो अभी तक की सबसे न्यूनतम दर है। जन्मदर का राष्ट्रीय औसत 20 और छत्तीसगढ़ का प्रति हजार 22.5 फीसद है। एक दशक पहले बस्तर में जन्मदर वर्तमान दर से करीब तीन फीसद अधिक 22 के आसपास थी।
जनसंख्या वृद्धि दर में कमी की प्रमुख वजह जन्मदर में गिरावट
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब 32 फीसद और बस्तर संभाग में 67 फीसद आबादी जनजातीय वर्ग की है। बस्तर में जनजातीय वर्ग के आठ से दस बड़े समुदाय हैं जबकि प्रदेश में इनकी संख्या 40 से अधिक है। जनजाति की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी के संबंध में राज्य शासन के निर्देश पर बस्तर विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान विभाग द्वारा बस्तर संभाग के पांच और बस्तर के बाहर के दो जिलों जशपुर और कोरिया को मिलाकर सात जिलों के तीन हजार जनजातीय परिवारों के बीच सर्वेक्षण किया गया। जनसंख्या वृद्धि दर में कमी की कई वजहों में प्रमुख कारण जन्मदर में लगातार आ रही गिरावट बताई गई है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक
सात सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक में भी जनसंख्या वृद्धि और जन्मदर में कमी का मुद्दा उठा था। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित परिषद की बैठक में बस्तर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मानवविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. सपन कोले ने विस्तार से अध्ययन रिपोर्ट से परिषद को अवगत कराया था।
नक्सलवाद, रोजगार की तलाश के चलते बस्तर से पलायन बढ़ा
डॉ. सपन कोले द्वारा तैयार अध्ययन रिपोर्ट के कहा गया है कि नक्सलवाद के कारण बस्तर में पिछले एक दशक से अधिक समय से लगातार पलायन हो रहा है। रोजगार की तलाश में बस्तर से युवाओं का पलायन बढ़ा है।
कुपोषण से ग्रसित लोग
एक से 20 साल आयु वर्ग के लोगों के बीच करीब 69 और 20 साल से अधिक आयुवर्ग के बीच 20 फीसद लोग कुपोषण से ग्रसित मिले हैं।
लोगों में शिक्षा और सेहत को लेकर जागरूकता की कमी
लोगों में शिक्षा और सेहत को लेकर जागरूकता की कमी है। इसके अलावा संयुक्त परिवार लगातार टूट रहे हैं। ये सब कारण जन्मदर और जनसंख्या में वृद्धि दर में कमी के लिए जिम्मेदार हैं। इस समस्या से उबारने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार कर दीर्घकाल तक काम करने की जरूरत है।
जनसंख्या और जन्मदर में आ रही गिरावट को लेकर उठाने होंगे कदम
छत्तीसगढ़ प्रदेश जनजातीय आयोग के पूर्व अध्यक्ष जीआर राना ने नईदुनिया से चर्चा में बताया कि आयोग द्वारा 2011 के जनसंख्या के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से ही सरकारों को प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों विशेषकर बस्तर में जनसंख्या और जन्मदर में आ रही गिरावट को लेकर चिंता से अवगत कराया जाता रहा है। इस मामले में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।