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शहीद सीओ जियाउल हक की पत्नी ने ओएसडी का पद संभाला

प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर में मारे गये कुंडा के सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने पुलिस महानिदेशक कार्यालय में विशेष कार्याधिकारी [ओएसडी] के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

By Edited By: Published: Tue, 19 Mar 2013 08:06 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2013 08:46 AM (IST)

लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर में मारे गये कुंडा के सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने पुलिस महानिदेशक कार्यालय में विशेष कार्याधिकारी [ओएसडी] के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

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मंगलवार को पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि परवीन ने पुलिस महानिदेशक कार्यालय में सोमवार की शाम को आकर अपनी नियुक्ति स्वीकार कर ली। परवीन फिलहाल डीजीपी मुख्यालय से सम्बद्ध हैं और आगे उनकी तैनाती के आदेश जारी किये जायेंगे। उल्लेखनीय है कि सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या के बाद मातमपुर्सी करने गये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने परवीन को नौकरी देने की घोषणा की थी।

शासन ने परवीन को ओएसडी और जियाउल के भाई सोहराब को आरक्षी वेलफेयर के पद पर तैनाती दी। इस दौरान परवीन ने कहा कि उन्हें डीएसपी के अलावा कोई और पद स्वीकार नहीं है। बाद में यह पता चलने पर कि डीएसपी के पद पर सीधी नियुक्ति लोकसेवा आयोग से हो सकती है, परवीन ओएसडी पद पर कार्य करने को तैयार हो गयीं और डीजीपी कार्यालय पहुंच कर कार्यभार ग्रहण कर लिया।

..तो क्या परवीन की तहरीर को खारिज कर दिया है सीबीआइ ने!

प्रतापगढ़। सीओ जियाउल हक की हत्या में दर्ज मुकदमे में उनकी पत्‍‌नी परवीन आजाद की तहरीर को सीबीआइ ने खारिज कर दिया है? अभी तक की सीबीआइ जांच से तो फिलहाल इसी बात के संकेत मिल रहे हैं। क्योंकि अभी तक परवीन द्वारा दी गई तहरीर में जिन लोगों पर हत्या करने अथवा हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया था उसमें सिर्फ गुड्ड से ही पुछताछ हुई है। राजा भैया और उनके दीगर नामजद करीबियों को सीबीआइ टीम ने छूआ तक नहीं है।

उल्लेखनीय है कि हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद हिंसक झड़प में सुरेश यादव और सीओ जियाउल हक मारे गए थे। सीओ की हत्या में तत्कालीन एसओ मनोज शुक्ला की ओर से प्रधान के भाइयों, बेटे समेत दस लोगों को नामजद किया गया है, जबकि सीओ की पत्‍‌नी परवीन आजाद की तहरीर पर नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, राजा भैया के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, चालक राजा भैया व गुड्डूं सिंह के खिलाफ हत्या व राजा भैया के खिलाफ हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज है।

राजा भैया का नाम आने के बाद ही प्रदेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति की थी। इस घटना को लेकर विधानसभा और लोकसभा में मचे बवाल के मद्देनजर सीबीआइ ने आठ मार्च से कुंडा में डेरा डाल दिया। इन 12 दिनों में सीबीआइ ने जिन भी लोगों को बुलाकर पूछताछ की है, उसमें प्रधान बंधुओं की हत्या और मनोज शुक्ला की ओर से दर्ज तहरीर के आरोपियों को ही बुलाया गया है। रही बात गुड्डू की तो उसके खिलाफ सुरेश यादव की हत्या की साजिश रचने का भी मामला दर्ज है।

सीबीआइ की अब तक की गतिविधियों से तो यही लगता है कि वह सीओ की हत्या के तार राजा भैया से जोड़कर नहीं देख रही है। यही वजह है कि राजा भैया को छोड़िए, उनके करीबी गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह से भी पूछताछ नहीं की गई है। छविनाथ से दो बार जरूर पूछताछ हो चुकी है, लेकिन गुलशन यादव को अभी तक नहीं बुलाया गया है। हालांकि इस संबंध में सीबीआइ की ओर से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं हुआ है।

मेरे लिए दूसरा जियाउल है परवीन

देवरिया। प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र में मारे गए डीएसपी जियाउल हक के मां-बाप के चेहरे पर बेटे के खोने का गम चस्पा है लेकिन बहू परवीन आजाद को नौकरी ज्वाइन करने व दूसरे बेटे की नौकरी के लिए आए शासन के फरमान से उन्हें तसल्ली मिली है। दुख की घड़ी में साथ देने वालों के प्रति वे धन्यवाद तो दे रहे हैं लेकिन यह भी कहते हैं कि बेटे की हत्या से दिन में बने जख्म तभी भर पाएंगे जब कातिलों को सजा मिलेगी।

शहीद डीएसपी के पैतृक गांव नूनखार टोला जुआफर तीन-चार दिन पहले तक सूबे की सियासत का केंद्र बिंदु बना था। शहीद के घर ढांढस बंधाने के बहाने सियासी हस्तियों, समाजसेवियों व शुभचिंतकों का रेला लगा था। डीएसपी की बेवा परवीन के यहां से लखनऊ जाते ही वहां सन्नाटा पसर गया है। परिवारीजन के साथ ही पड़ोसियों के चेहरे पर उदासी है। बहू के लखनऊ व बेटे के गोरखपुर जाने के बाद घर के एक कमरे में बैठी शहीद की बीमार मां हाजरा खातून के पास मंगलवार को जब जागरण संवाददाता पहुंचा तो उनकी आंखों से आंसू फूट पड़े। खुद को संभालते हुए बोलीं-बेटे को मारे जाने का मलाल तो है, लेकिन बहू को नौकरी मिलने व बेटे के नौकरी के लिए शासन के फरमान आने पर सुकून महसूस हो रहा है। अब तो बहू ही मेरे लिए दूसरी जियाउल है। लखनऊ जाते समय घर से लेकर सड़क तक मुझसे लिपट कर रोते हुए उसने जब ढांढस बधाई तो मुझे लगा कि बेटा तो नहीं रहा, लेकिन मेरे सपनों को बहू पूरा करेगी। हाजरा ने कहा कि बहू के साथ घर का कोई सदस्य नहीं जा पाया, लेकिन उसके पिता व बहनें साथ हैं। सोमवार को नौकरी ज्वाइन करने के बाद मुझसे बात हुई थी। बहू ने कहा-'आपके बेटे को वापस नहीं लौटा सकती, लेकिन आखिरी सांस तक बेटे का फर्ज निभाऊंगी।' परवीन के बेडरूम की चाबी दिखाते हुए हाजरा ने कहा कोई कुछ भी कहे, लेकिन मुझे यकीन है कि मेरी बहू जिम्मेदार है। पढ़ी-लिखी है। अपना फर्ज समझती है। अगर उसे विश्वास नहीं होता तो बेडरूम की चाबी मुझे नहीं सौंपती। उन्होंने बताया कि शासन ने जो पचीस लाख रुपये मुहैया कराए थे वह मेरे शौहर शमशुल हक के नाम बैंक में जमा हैं। उसमें से एक लाख रुपये निकालकर रिश्तेदार व अन्य कर्ज को अदा कर दिया गया। बरामदे में रुहासे बैठे शहीद के पिता शमशुल हक ने कहा कि जिसे लेकर मैंने तमाम सपने संजोए थे वह मेरी आंख का तारा, बुढ़ापे का सहारा लाडला अब दुनिया में नहीं है। फिर भी विश्वास है खुदा, अल्लाह जो भी करेगा अच्छा करेगा।

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