पुलिस लाइन में बैठेंगी परवीन आजाद
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर में कर्तव्य पालन के दौरान शहीद हुए सीओ कुंडा जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद बुधवार को डीजीपी कार्यालय पहुंची और अफसरों से मुलाकात कीं। सोमवार को उन्होंने विशेष कार्याधिकारी [ओएसडी] पद पर कार्यभार ग्रहण किया था और अब उनको दफ्तर भी आवंटित हो गया। पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा के अनुसार परवीन आजाद पुलिस लाइन लखनऊ में स्थित पुलिस मुख्यालय के कैंप आफिस में बैठेंगी और उन्हें पुलिस कल्याण सम्बंधित योजनाओं पर कार्य करने के लिए एक दो दिन में जिम्मेदारी तय कर दी जायेगी।
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर में कर्तव्य पालन के दौरान शहीद हुए सीओ कुंडा जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद बुधवार को डीजीपी कार्यालय पहुंची और अफसरों से मुलाकात कीं। सोमवार को उन्होंने विशेष कार्याधिकारी [ओएसडी] पद पर कार्यभार ग्रहण किया था और अब उनको दफ्तर भी आवंटित हो गया। पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा के अनुसार परवीन आजाद पुलिस लाइन लखनऊ में स्थित पुलिस मुख्यालय के कैंप आफिस में बैठेंगी और उन्हें पुलिस कल्याण सम्बंधित योजनाओं पर कार्य करने के लिए एक दो दिन में जिम्मेदारी तय कर दी जायेगी।
हालांकि डीएसपी जियाउल हक के मां-बाप के चेहरे पर बेटे के खोने का गम चस्पा है लेकिन बहू परवीन आजाद को नौकरी ज्वाइन करने व दूसरे बेटे की नौकरी के लिए आए शासन के फरमान से उन्हें तसल्ली मिली है। दुख की घड़ी में साथ देने वालों के प्रति वे धन्यवाद तो दे रहे हैं लेकिन यह भी कहते हैं कि बेटे की हत्या से दिल में बने जख्म तभी भर पाएंगे जब कातिलों को सजा मिलेगी।
शहीद डीएसपी के पैतृक गांव नूनखार टोला जुआफर तीन-चार दिन पहले तक सूबे की सियासत का केंद्र बिंदु बना था। शहीद के घर ढांढस बंधाने के बहाने सियासी हस्तियों, समाजसेवियों व शुभचिंतकों का रेला लगा था। डीएसपी की बेवा परवीन के यहां से लखनऊ जाते ही वहां सन्नाटा पसर गया है। परिवारीजन के साथ ही पड़ोसियों के चेहरे पर उदासी है। बहू के लखनऊ व बेटे के गोरखपुर जाने के बाद घर के एक कमरे में बैठी शहीद की बीमार मां हाजरा खातून के पास मंगलवार को जब जागरण संवाददाता पहुंचा तो उनकी आंखों से आंसू फूट पड़े। खुद को संभालते हुए बोलीं-बेटे को मारे जाने का मलाल तो है, लेकिन बहू को नौकरी मिलने व बेटे के नौकरी के लिए शासन के फरमान आने पर सुकून महसूस हो रहा है।
अब तो बहू ही मेरे लिए दूसरी जियाउल है। लखनऊ जाते समय घर से लेकर सड़क तक मुझसे लिपट कर रोते हुए उसने जब ढांढस बधाई तो मुझे लगा कि बेटा तो नहीं रहा, लेकिन मेरे सपनों को बहू पूरा करेगी। हाजरा ने कहा कि बहू के साथ घर का कोई सदस्य नहीं जा पाया, लेकिन उसके पिता व बहनें साथ हैं। सोमवार को नौकरी च्वाइन करने के बाद मुझसे बात हुई थी। बहू ने कहा-आपके बेटे को वापस नहीं लौटा सकती, लेकिन आखिरी सांस तक बेटे का फर्ज निभाऊंगी। परवीन के बेडरूम की चाबी दिखाते हुए हाजरा ने कहा कोई कुछ भी कहे, लेकिन मुझे यकीन है कि मेरी बहू जिम्मेदार है। पढ़ी-लिखी है। अपना फर्ज समझती है। अगर उसे विश्वास नहीं होता तो बेडरूम की चाबी मुझे नहीं सौंपती। उन्होंने बताया कि शासन ने जो पचीस लाख रुपये मुहैया कराए थे वह मेरे शौहर शमशुल हक के नाम बैंक में जमा हैं। उसमें से एक लाख रुपये निकालकर रिश्तेदार व अन्य कर्ज को अदा कर दिया गया। बरामदे में रुहासे बैठे शहीद के पिता शमशुल हक ने कहा कि जिसे लेकर मैंने तमाम सपने संजोए थे वह मेरी आंख का तारा, बुढ़ापे का सहारा लाडला अब दुनिया में नहीं है। फिर भी विश्वास है खुदा, अल्लाह जो भी करेगा अच्छा करेगा।
सुरेश से पहले सीओ की हुई थी हत्या!
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ । बलीपुर में घटना की रात प्रधान के भाई सुरेश यादव के पहले सीओ जियाउल हक की हत्या हुई थी, तत्कालीन एसओ मनोज शुक्ला की नजर में ऐसा ही हुआ था। सच्चाई तो यह है कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में यह खेल अपने बचाव के लिए किया था।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो सुरेश यादव को गोली लगने के बाद आक्रोशित लोगों ने सीओ जियाउल हक समेत पुलिस कर्मियों पर हमला बोला था, जबकि तत्कालीन एसओ मनोज शुक्ला की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे पर गौर करें तो उसके अनुसार पहले सीओ जियाउल हक की हत्या हुई थी। उन्हें रात नौ बजे गोली लगी थी। सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर प्रधान के भाई फूलचंद्र, पवन, सुधीर, बेटे बबलू उर्फ योगेंद्र, सज्जन कुमार, रामसूरत, नन्हे गौतम, घनश्याम सरोज, मंजीत यादव, रामलखन ने हमला बोला था। जबकि सुरेश को गोली रात लगभग सवा नौ बजे लगने की बात पवन की ओर से दर्ज की गई तहरीर में कही गई है। इतना ही नहीं, मुकदमा दर्ज करने के दौरान भी पहले दो मार्च को रात 11.20 बजे सीओ की हत्या की एफआइआर दर्ज की गई और उसके दस मिनट बाद 11.30 बजे सुरेश की हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई। वैसे पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में यह खेल अपने बचाव के लिए किया था।
शहीद सीओ के भाई को आरक्षी
कल्याण का पद, आज करेंगे ज्वाइन गोरखपुर । सीओ जियाउल हक के भाई सोहराब अली को सरकार ने आरक्षी कल्याण की नौकरी प्रदान की है। इस पद पर वह बुधवार को गोरखपुर के आइजी कार्यालय में ज्वाइन करेंगे। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। सीओ के भाई की ज्वाइनिंग कराने के संबंध में शासन ने पिछले दिनों पत्र भेज कर आइजी जोन गोरखपुर को आदेशित किया था। इस बाबत सोहराब अली ने आइजी का कार्यभार देख रहे डीआइजी रेंज नवीन आरोड़ा से सोमवार को मुलाकात की थी। उनकी ज्वाइनिंग के लिए सारी औपचारिकताएं मंगलवार को पूरी कर ली।
प्रधान परिवार के असलहे से हुई सीओ की हत्या!
लखनऊ । प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में दो मार्च को हुए तिहरे हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ को असलहों की बैलेस्टिक रिपोर्ट मिल गयी है। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में घटना में मारे गए ग्राम प्रधान नन्हें यादव के परिवार के सभी असलहों से फायरिंग होने की बात पुष्ट की गयी है। इस रिपोर्ट से सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या का राजफाश होने की उम्मीद भी बढ़ गयी है। सीबीआइ ने बीते दिनों प्रधान नन्हें यादव की 315 बोर की राइफल, सुरेश यादव की 12 बोर की बंदूक और फूलचंद की .32 बोर की पिस्टल कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा था। जांच में इन असलहों से फायरिंग होने की बात सामने आई है। विशेषज्ञ इस बात की पड़ताल में जुट गए हैं कि क्या सीओ को 315 बोर की रायफल या .32 बोर की पिस्टल से गोली मारी गयी। सीबीआइ ने अभी तक इस सिलसिले में कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन जानकारों का कहना है कि .32 बोर की पिस्टल से छह फुट की दूरी से गोली मारी गयी है।
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