शहरों में जलापूर्ति योजना से पहले होगा पायलट पेयजल सर्वेक्षण, इन दस शहरों में चलेगी परियोजना
शहरी क्षेत्रों में उचित जल वितरण और सीवेज के जल को साफ कर पुन उपयोग की संभावनाओं पता लगाने के लिए शहरी विकास मंत्रालय एक पायलट प्रोजेक्ट लांच करेगा। शहरी क्षेत्रों में इसके तहत पेयजल सर्वेक्षण प्रारंभ किया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जल जीवन मिशन के तहत शहरी क्षेत्रों में भी हर घर नल से जल पहुंचाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाने लगा है। अगले वित्त वर्ष के लिए पेश आम बजट में इसका प्रविधान किया गया है। शहरी क्षेत्रों में उचित जल वितरण और सीवेज के जल को साफ कर पुन: उपयोग की संभावनाओं पता लगाने के लिए शहरी विकास मंत्रालय एक पायलट प्रोजेक्ट लांच करेगा। शहरी क्षेत्रों में इसके तहत पेयजल सर्वेक्षण प्रारंभ किया जाएगा। पेयजल सर्वेक्षण में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की मात्रा, गुणवत्ता और जल निकायों की मैपिंग की जाएगी।
पेयजल सर्वेक्षण के पायलट प्रोजेक्ट की लांचिंग करने के बाद शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने बताया कि पहले चरण में 10 प्रमुख शहरों में यह परियोजना चलाई जाएगी। इनमें आगरा, बदलापुर, भुवनेश्वर, चुरू, कोच्चि, मदुरै, पटियाला, रोहतक, सूरत और तुमकुर शामिल हैं। पायलट सर्वेक्षण के साकारात्मक नतीजों के आधार पर सर्वेक्षण का विस्तार देश के सभी 500 अमृत शहरों में किया जाएगा।
टेक्नोलॉजी आधारित प्लेटफार्म पर की जाएगी
सर्वेक्षण में शहरी निकायों के नागरिकों और निकाय के अफसरों से पेयजल, सीवेज जल प्रबंधन, गैर प्रबंधन, गैर राजस्व जल और जल निकायों की स्थिति पर डाटा एकत्र किए जाएंगे। जल जीवन मिशन की निगरानी टेक्नोलॉजी आधारित प्लेटफार्म पर की जाएगी। लाभार्थी की निगरानी भी इसी माध्यम से की जाएगी। इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार की तरफ से तीन चरणों में बजट आवंटित किया जाएगा। पहली किस्त में कुल लागत का 20 फीसद दिया जाएगा, जबकि दूसरी और तीसरी किस्त समान यानी 40-40 फीसद होगी।
शहरी जल जीवन मिशन का उद्देश्य 4,378 शहरी निकायों के सभी परिवारों को नल से स्वच्छ पानी की सप्लाई करना है। जबकि 500 अमृत शहरों में सीवर प्रबंधन भी करना है। 500 अमृत शहरों में शहरी परिवारों के 2.68 करोड़ परिवारों को नल का पेयजल उपलब्ध कराना है, जबकि 2.6 करोड़ घरों को सीवर कनेक्शन देना है। शहरी जल जीवन मिशन में इस अंतर को पाटने का प्रस्ताव है।
घरों में जलापूर्ति को मजबूत बनाने के लिए जल निकायों को नया जीवन देना है। इससे जहां लोगों को ताजा पानी मिलेगा, वहीं शहरी जल प्रबंधन को सुदृढ़ किया जा सकेगा। जल निकायों के पुनर्जीवन जल की 20 फीसद मांग सीवेज को साफ किए पानी से की जाएगी।
जल जीवन मिशन की लागत
जल जीवन मिशन के लिए कुल प्रस्तावित लागत 2.87 लाख करोड़ रुपये है। इसमें अमृत मिशन को निरंतर वित्तीय समर्थन के लिए 10,000 करोड़ रुपये शामिल है। सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने के लिए 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों से कुल परियोजना धन आवंटन के 10 फीसद तक की पीपीपी परियोजनाएं प्रारंभ करने को कहा गया है।
केंद्रीय हिस्सेदारी
पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों की परियोजनाओं के लिए केंद्रीय हिस्सेदारी 90 फीसद तक होगी। जबकि केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 100 फीसद होगी। एक लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए केंद्रीय हिस्सेदारी 50 फीसद, एक से 10 लाख की आबादी वाले शहरों के लिए एक-तिहाई और 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों के लिए केंद्रीय मदद 25 फीसद होगी।