एलसीए के नौसेना संस्करण का कम जगह में लैंडिंग का सफल परीक्षण, सशक्त होगी नेवी
डीआरडीओ और एडीए ने शुक्रवार को यहां स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के नौसैनिक संस्करण का पहली बार कम जगह में लैंडिंग का सफल परीक्षण किया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस के नौसैनिक संस्करण के विकास में एक अहम पड़ाव पार हो गया है। तेजस ने शुक्रवार को सफलतापूर्वक 'अरेस्टेड लैंडिंग' (कम जगह में लैंडिंग) करके विमान वाहक पोत पर उतरने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
कम देशों के पास है ऐसा लड़ाकू विमान
एलसीए की पहली 'अरेस्टेड लैंडिंग' में शामिल सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इस सफल परीक्षण ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शुमार कर दिया है जिनके पास ऐसे विमान डिजायन करने की क्षमता है जो विमान वाहक पोत पर उतर सकते हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, 'भारतीय नौसैनिक विमानन के इतिहास में आज स्वर्ण अक्षरों का दिन है। गोवा में आइएनएस हंस पर हुए परीक्षण ने इस विमान के भारतीय विमान वाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग के प्रदर्शन का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।'
परीक्षण से नए दौर की शुरुआत
बयान में कहा गया है कि इस परीक्षण ने एक नए दौर की शुरुआत की है जिसमें एक साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई एजेंसियां एक साथ आई हैं। बता दें कि तेजस का नौसैनिक संस्करण अभी विकास के चरण में है। इसके विकास में रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ विमानन विकास एजेंसी, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का विमान अनुसंधान एवं डिजायन केंद्र, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और अन्य संगठन शामिल हैं। मालूम हो कि तेजस विमानों की एक खेप पहले ही भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुकी है।
तेजस की क्षमता से सशक्त होगी सेना
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बनाए स्वदेशी जेट विमान एलसीए तेजस को जल्द ही एयर शो में फाइनल ऑपरेशन क्लीयरेंस (एफओसी) देकर वायुसेना में शामिल किया गया था। एफओसी मिलने के अर्थ है कि युद्धक विमान मिसाइल क्षमता में स्तरीय है। हवा में ही एक विमान से दूसरे विमान में ईंधन भर लेने में सक्षम है। हवा से जमीन पर सटीक वार कर सकता है।
वायुसेना को मिलेंगे 16 और तेजस विमान
एचएएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल के अंत तक 16 और तेजस विमान तैयार कर वायुसेना को सौंपे जाएंगे। इसके अलावा चार अन्य विमान अगले साल बनकर तैयार होंगे। चूंकि एचएएल ने बेंगलुरु परिसर में 1380 करोड़ रुपये का निवेश करके अधिक विमान बनाने की क्षमता बढ़ा ली है।