द्रौपदी मुर्मू: पति और दो बेटों की मौत के बाद भी खुद को टूटने नहीं दिया, स्कूल को दान की जमीन; पति और बच्चों के नाम पर बनवाया स्मृति स्थल
द्रौपदी मुर्मू ने पति और दो बेटों के मौत के बाद भी खुद को टूटने नहीं दिया। उन्होंने ससुराल की जमीन स्कूल को दान कर दी तो पति और बच्चों के नाम पर स्मृति स्थल का निर्माण कराया। देखिए यह खास रिपोर्ट...
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कुछ लोगों का पूरा जीवन संघर्ष करते हुए बीत जाता है। कभी अपने लिए, तो कभी अपनों के लिए। ऐसे लोग संघर्ष करते हुए भी परिवार और समाज की जिम्मेदारियां इस कदर शिद्दत और ईमानदारी से निभाते हैं कि लोग उनकी मिसाल देने लगते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं द्रौपदी मुर्मू।
उम्मीदों के दीये को कभी बुझने नहीं दिया
द्रौपदी को जिंदगी की झंझावातों से काफी कुछ सीखने को मिला। जरा सोचिए, जिस महिला के पति और दो बेटों की असमय मौत हो गई हो, उसने कितना दर्द सहा होगा। लेकिन हादसों के झंझावात ने इस महिला को और विनम्र बना दिया। उम्मीदों के दीये को कभी बुझने नहीं दिया। प्यारी सी बिटिया ही उनकी जिंदगी थी।
विषम परस्थितियों में खुद को संभाला
विषम परिस्थितियों में खुद को संभालना कोई द्रौपदी मुर्मू से सीखे। उन्होंने खुद का दर्द भुलाने को दूसरे का दर्द अपना लिया। खुद को सामाजिक कार्य में झोंक दिया और आज नतीजा सामने है। वह एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी हैं।
स्कूल के नाम कर दी जमीन
यूं ही द्रौपदी को रायरंगपुर के लोग सिर आंखों पर नहीं बिठाते। कुछ तो बात होगी। पति और दो बेटों की मौत के बाद द्रौपदी ने अपने ससुराल पहाड़पुर की सारी जमीन ट्रस्ट बनाकर स्कूल के नाम कर दी। ट्रस्ट का नाम पति और बेटों के नाम पर एसएलएस ट्रस्ट रखा। चार एकड़ में फैला यह स्कूल रेसिडेंसियल है और इसमें कक्षा छह से दसवीं तक की पढ़ाई होती है।
पति और बेटों की याद में बनवाया स्मृति स्थल
फिलहाल इस स्कूल में 70 छात्र व छह शिक्षक हैं। इसी स्कूल के अहाते में द्रौपदी मुर्मू व उनके दो बेटों की याद में बना स्मृति स्थल है, जहां तीनों की प्रतिमाएं लगी हुई है। पति की मौत एक अगस्त 2014 को हुई। बड़े बेटे की मौत 25 अक्टूबर 2010 और छोटे बेटे का निधन 02 जनवरी 2013 को हुआ। बेटी इतिश्री भुवनेश्वर स्थित यूको बैंक में कार्यरत हैं।
ट्रस्ट के सदस्यों से फोन पर करती हैं बातचीत
स्कूल के शिक्षक हेमानंद गिरि कहते हैं कि द्रौपदी मैडम बहुत कम ही आती हैं। लेकिन ट्रस्ट के सदस्यों के साथ फोन पर हमेशा उनकी बात होती रहती है।