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अयोध्या से भी जुड़े हैं अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के तार

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के तार अयोध्या से भी जुड़े रहे हैं। गत वर्ष 31 जुलाई को डॉन के शार्प शूटर विशेश्वर को यहां गिरफ्तार किया गया था। दाऊद के करीबी गुजरात के हवाला कारोबारी अफरोज हसन फट्टा पर कातिलाना हमला करने में शामिल विशेश्वर हवाई जहाज से दुबई से

By Test1 Test1Edited By: Published: Tue, 10 Nov 2015 10:24 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2015 12:53 PM (IST)
अयोध्या से भी जुड़े हैं अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के तार

फैजाबाद।(रविप्रकाश श्रीवास्तव) अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के तार अयोध्या से भी जुड़े रहे हैं। गत वर्ष 31 जुलाई को डॉन के शार्प शूटर विशेश्वर को यहां गिरफ्तार किया गया था। दाऊद के करीबी गुजरात के हवाला कारोबारी अफरोज हसन फट्टा पर कातिलाना हमला करने में शामिल विशेश्वर हवाई जहाज से दुबई से 30 जुलाई को लखनऊ अमौसी एयरपोर्ट पहुंचा और आलमबाग के एक होटल में कमरा लेकर रुका था। दूसरे दिन सुबह वह अयोध्या के लिए रवाना हुआ था, लेकिन पटरंगा के पास फैजाबाद क्राइम ब्रांच ने उसे दबोच लिया।

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अयोध्या में पैठ बनाने और वर्ष 1995-96 में यहां पर हत्या की दो वारदातों को अंजाम देने वाले माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के बाद छोटा राजन के गुर्गे विशेश्वर की गिरफ्तारी ने इस आशंका को गहरा दिया कि अंडरवर्ल्ड फिर धर्मनगरी को अपने अड्डा बनाने की फिराक में है। वाराणसी में भाई के साथ रेस्टोरेंट चलाने वाले विशेश्वर की महत्वाकांक्षा उसे मुंबई ले गई। वहां विवादित भूमि खरीदने और बेचने का काम शुरू किया। यहीं उसका संपर्क गुजरात के रहने वाले समीर से हुई। उसकी मदद से उसने छोटा राजन के गिरोह में पैठ बनाई और डॉन का करीबी भी बन गया। छोटा राजन ने गत वर्ष दाऊद के करीबी अफरोज हसन फट्टा की हत्या के लिए विशेश्वर को अहमदाबाद भेजा, लेकिन हमले में फट्टा बच गया।

विशेश्वर के ‘अयोध्या मिशन’ मिशन अब भी संशय

विशेश्वर की गिरफ्तारी के बाद छोटा राजन के नेटवर्क से जुड़े लोगों की तलाश में एक नाम लखनऊ के युवक राकेश का भी आया। उसी ने विशेश्वर को पिस्टल देकर फैजाबाद की बस में बैठाया था और पटरंगा के पास उतरने के लिए कहा, जहां राजेश नाम का युवक मिलने वाला था। यह अब तक नहीं पता चला कि विशेश्वर का ‘अयोध्या मिशन’ क्या था। उससे पुलिस कुछ उगलवा पाती उससे पहले ही गुजरात पुलिस फट्टा पर जानलेवा हमले के मामले में ट्रांजिट रिमांड पर गुजरात लेकर चली गई।

सिर्फ नाम और काम से था मतलब

सुरक्षा तंत्र के अनुसार छोटा राजन से बात करने के लिए विशेश्वर लोकल सिम के जरिए संदेश समीर को भेजता था। समीर सेटेलाइट फोन के माध्यम से ‘पप्पू से बात करनी है’ कोड से संदेश डॉन तक पहुंचाता और फिर इंटरनेशनल सिम वाले डॉन की फोन कॉल से उसे अगले कदम की जानकारी दी जाती थी। जितने भी व्यक्ति मूवमेंट से जुड़े होते थे उनका सिर्फ नाम बताया जाता था, पता नहीं। यही कारण है कि राजेश, राकेश व समीर जैसे लोग पुलिस के लिए अभी तक पहेली बने हुए हैं।

मुंबई की बाढ़ में बचा रहा छोटा राजन का फिंग्ररप्रिंट

मिड-डे, मुंबई 26 जुलाई को मुंबई में आई बाढ़ से कई लोगों की मौत हो गई थी और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज नष्ट हो गए थे। लेकिन संयोग से छोटा राजन का फिंगरप्रिंट मुंबई पुलिस के पास सुरक्षित बचा रहा। इंडोनेशिया में बाली पुलिस द्वारा अंडरवर्ल्ड डॉन को गिरफ्तार किए जाने के बाद उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार से फिंगरप्रिंट की मांग की गई। इसके बाद हरकत में आई मुंबई पुलिस ने फाइलों को खंगालना शुरू किया। इस दौरान तीन टुकड़ों में राजन का फिंगरप्रिंट मिल गया। तीनों टुकड़ों को जोड़कर उसे स्कैन किया गया। वहां से इसे दिल्ली और फिर इंडोनेशिया भेज दिया गया। 36 साल पुराने इस दस्तावेज की मदद से राजन को भारत वापस लाना संभव हो सका। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरू में बाली पुलिस ने फिंगरप्रिंट की छाया प्रति को साक्ष्य मानने से इन्कार कर दिया और मूल दस्तावेज लाने को कहा। लेकिन भारतीय अधिकारियों द्वारा समझाए जाने के बाद पुलिस अफसर मान गए।


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