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COVID-19 Vaccine: टीकाकरण से दूर भाग रहे लोगों के फैसले बदलने में डाक्टरों की बड़ी भूमिका

शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर आपके आसपास कोई ऐसा है जिसे टीका लगवाने में हिचक है तो उसे डाक्टर की सलाह लेने को कहें। उन्हें समझाएं कि किस तरह से टीका लगवाने का यह कदम उनके अपनों की सुरक्षा में मददगार हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 09:22 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 09:31 AM (IST)
COVID-19 Vaccine: टीकाकरण से दूर भाग रहे लोगों के फैसले बदलने में डाक्टरों की बड़ी भूमिका
टीका लगवा चुके लोगों से बात करने से भी मन बदलता है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना महामारी से बचाव की दिशा में टीकाकरण ही एकमात्र कारगर तरीका है। हालांकि अक्सर आसपास ऐसे कुछ लोग दिख जाते हैं, जो टीका नहीं लगवाना चाह रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें समझाना और टीका लगवाने के लिए तैयार कर पाना संभव नहीं हो पाता है। अमेरिका के यूमैस चान मेडिकल स्कूल की शोधकर्ताओं कैथलीन मेजर और किंबरली फिशर ने लोगों की सोच और उन पर डाक्टर की बातों के असर के बारे में अहम जानकारी दी है। उनका कहना है कि डाक्टर की सीधी सलाह लोगों पर ज्यादा असर डालती है। लोग उनका कहा मानते हैं।

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हां या ना की उलझन में लोग: अप्रैल, 2020 में जब कोरोना के विभिन्न टीके परीक्षण के दौर में थे, उस समय पूरे अमेरिका में करीब 1,000 लोगों से टीके को लेकर सवाल पूछा गया था। 10 में तीन लोग इस बात को लेकर अनिर्णय की स्थिति में थे कि वे टीका लगवाएंगे या नहीं। 10 में से एक ने टीका लगवाने से इन्कार कर दिया था।

इन्कार के कारण

इसके साइड इफेक्ट क्या होंगे

कुछ लोगों को सरकार पर भरोसा नहीं था

नहीं पता कि वैक्सीन कितनी सुरक्षित होगी

ज्यादा जानकारी मिले बिना फैसला नहीं कर सकते

कुछ लोगों को लगता था कि उन्हें कोई खतरा नहीं है

डाक्टर है, तो क्या डर है: आंकड़ों पर संदेह करने वाले और टीकाकरण से दूर भाग रहे लोगों के फैसले बदलने में डाक्टरों की बड़ी भूमिका सामने आई है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि बहुत से लोग टीकाकरण पर फैसले के मामले में डाक्टर की सलाह मानते हैं। ताजा अध्ययन में यह जानने की कोशिश की गई कि डाक्टर का क्या कहना लोगों का भरोसा बढ़ाता है।

टीका आने के बाद भी नहीं बदली तस्वीर: टीकाकरण शुरू होने के बाद जनवरी, 2021 में फिर करीब 1,700 लोगों पर सर्वेक्षण किया गया। टीकाकरण से आनाकानी की वजहें जस की तस बनी रहीं। लोगों की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि टीका कितना सुरक्षित है। बहुत जल्दी टीका विकसित होने और पर्याप्त जांच नहीं होने जैसा डर भी लोगों के मन में बना रहा। कुछ लोगों के मन में कोरोना से बचाव के लिए बने टीकों को लेकर गहरा अविश्वास है।

जो अच्छी तरह से तथ्यों को जानते हैं, वे जल्दी मानते हैं: अध्ययन में यह भी सामने आया कि जिन लोगों को कोरोना महामारी के संक्रमण, स्वास्थ्य पर इससे पड़ने वाले दुष्प्रभावों और वैक्सीन के असर के बारे में ज्यादा जानकारी थी, उन्होंने टीका लगवाने का फैसला जल्दी किया। ऐसे लोग अपनी सेहत से जुड़े फैसले लेने के लिए आंकड़ों पर भरोसा करते हैं। अनावश्यक संदेह इन लोगों के मन में नहीं देखा गया।

इस संदर्भ में सामने आए अहम निष्कर्ष निम्नलिखित रहे :

मैं कह रहा हूं कि तुम्हें टीका लगवाना चाहिए। अपने करीबी लोगों को स्वस्थ रखने और उनकी हिफाजत का यही सबसे अच्छा तरीका है। डाक्टर की इस बात ने करीब 27 फीसद लोगों को टीके के लिए प्रोत्साहित किया

तुम टीके के बारे में क्या सोचते हो? क्या लगता है कि तुम्हें लगवाना चाहिए या नहीं?

डाक्टर की तरफ से इस तरह की अनिश्चित बात सुनने से मात्र 13 फीसद लोगों के मन में ही टीका लगवाने की बात आई।


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